जनसंख्या की नज़र से उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है।
ऐसे में योगी सरकार ने आने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले ही जनसंख्या नियंत्रण की नीति जारी कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि जनसंख्या से समाज में बढ़ती हुई असमानता का मूल कारण है।
इस कानून को उत्तर प्रदेश जनसंख्या( नियंत्रण स्थानीयकरण और कल्याण ) ACT 2021 नाम दिया गया है। इस कानून के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में दो बच्चों के नीति का उल्लंघन करने वाले को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने ,सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने, पदोन्नति और किसी भी प्रकार की सरकारी सब्सिडी प्राप्त करने का अधिकार नहीं होगा।
यह कानून गजट में पब्लिकेशन के एक साल बाद लागू हो जाएगा। पर वही इस प्रस्तावित विधेयक से विपक्ष में बयानबाज़ी तेज हो गयी है । एक ओर जहाँ समाजवादी पार्टी के सांसद शफीरकुर्रहमान जनसंख्या नियंत्रण के मसले पर एक विवादित बयान दे दिया उन्होंने कहा कि “यह कानून कुदरत से टकराने वाला होगा और इससे कोई लाभ नहीं होगा”
तो वही दूसरी ओर उत्तर प्रदेश आम आदमी पार्टी के प्रभारी और सांसद संजय सिंह ने कहा कि” बच्चों की संख्या निश्चित कर देंगे तो भाजपा के एक भी सांसद विधायक बच नहीं पाएंगे।”
जनसंख्या की दृष्टि से भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर आता है आने वाले समय में भारत के लिए स्थिति गंभीर हो सकती है ,आने वाली स्थिति को देखते हुए जनसंख्या नियंत्रण नीति पर सूबे के स्वास्थ्य मंत्री जेपी सिंह ने कहा कि” जनसंख्या नियंत्रण अत्यंत जरूरी है।” माना जाता है कि भारत की आबादी 2027 तक चीन की जनसंख्या से आगे निकल जाएगी। इसी कारण जनसंख्या नियंत्रण नीति लोगों के हित के लिए जारी किया जा रहा है। जनसंख्या नियंत्रण पर नीति आयोग ने इस विधेयक का प्रारूप तैयार किया और अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया जिसपर 19 जुलाई तक जनता से राय मांगी।
बहर- हाल देखना यह है योगी सरकार की यह नीति 2022 में आने वाले विधानसभा चुनाव पर कितना असर डालती है ,यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा की क्या जनसंख्या नियंत्रण नीति सरकार के हित में होगी या नहीं ?
इस खबर को लिखा है शिखा पांडेय ने