आज 14 अगस्त है और पकिस्तान आज ही के दिन अपनी आज़ादी की 75 वीं वर्षगाँठ मना रहा है। लेकिन जिस मोहम्मद अली जिन्ना ने पकिस्तान को आज़ादी दिलाई और इस्लाम धर्म के नाम पर पकिस्तान और हिन्दुस्तान को एक दूसरे से अलग किया, उनका खुद का परिवार हिन्दू ही था | पिता ने अपने जातीय समाज की नाराज़गी के चलते इस्लाम धर्म अपना लिया था।
मोहम्मद अली जिन्ना के पिता का नाम पुंजालाल ठक्कर था और दादा का नाम प्रेमजीभाई लालजी ठक्कर था ये मूलरुप से गुजरात के काठियावाड़ गाँव के पनेली से थे।
गांधी जी और मोहम्मद अली जिन्ना की जड़ें गुजरात से ही ताल्लुक रखती हैं | प्रेमजीभाई मछलियों का कारोबार करते थे और उनका कारोबार बहोत बड़ा था एवं विदेशों तक फैला हुआ था, पर प्रेमजीभाई जिस लोहना समुदाय से ताल्लुक रखते थे वो शाकाहार को मानते थे और धार्मिक तौर पर मांसाहार से नफरत करते थे यही वजह थी की उनको प्रेमजीभाई के व्यापार से दिक्कत थी और इस कारोबार को पसंद नहीं करते थे | लोहना समुदाय के लोग मूल रूप से वैश्य होते हैं, जो गुजरात के सिंध और कच्छ में रहते थे. कुछ लोहना समुदाय के लोग राजपूत जाती से भी ताल्लुक रखते थे |
मांसाहार कारोबार के कारण कर दिए गए थे समुदाय से बाहर –
प्रेमजीभाई का पूरा परिवार मछली का कारोबार करता था और उनका ये कारोबार चल पड़ा था बहोत अच्छी आमदनी के साथ-साथ मशहूर भी होने लगे, पर उनके अपने समुदाय लोहना जाती के लोग इसका विरोध करने लगे विरोध इतना बढ़ गया की जाती के लोगों ने कहा की अगर ये काम नहीं छोड़ोगे तो हम सब तुम्हारा बहिष्कार करेंगे, और आगे चलकर सबने इनका बहिष्कार भी किया। प्रेमजीभाई धर्म में रहकर इस व्यापर को करने की बहोत कोशिश किए और अपने जाती के लोगों को बहोत समझाया पर वे नहीं माने और इनका बहिष्कार ज़ारी रहा।
परिवार के बहिष्कार ने क़ुबूल कराया इस्लाम –
परिवार के बहिष्कार के बाद भी प्रेमजीभाई हिन्दू धर्म में ही रहे लेकिन जिन्ना के पिता पुंजालाल ठक्कर अपने ही लोगों द्वारा बहिष्कार किये जाने से बहोत अपमानित महसूस कर रहे थे और इसी नाराज़गी में वे अपने बेटों के साथ सपरिवार इस्लाम क़ुबूल कर लिए और काठियावाड़ से कराची चले गए। अपना धर्म बदल पुंजालाल मुस्लिम हो गए वहीँ उनके बाकी के भाई हिन्दू धर्म में ही रहे परन्तु कुंजालाल के रस्ते अब अपने परिवार और रिश्तेदारों से अलग हो गए और वो अपने व्यापार को बढ़ाने लगे और इतनी तरक्की किया की उन्होंने अपने कंपनी का दफ्तर विदेश तक में खोल डाला। कहा जाता है की जिन्ना के बहोत से रिश्तेदार आज भी हिन्दू हैं।
जिन्ना और भाई-बहनो का इस्लामी नामकरण –
मुहम्मद अली जिन्ना की मातृभाषा गुज़रती थी, बाद में उन्होंने दूसरी भाषाएँ सीखीं जैसे कच्छी, सिंधी और अंग्रेजी। काठियावाड़ से मुस्लिम बाहुल सिंध में बसने के बाद जिन्ना और उनके भाई बहनों का मुस्लिम नामकरण हुआ। जिन्ना की पढाई-लिखाई अलग-अलग स्कूलों में हुई थी। शुरू-शुरू में वे कराची के सिन्ध मदरसा-ऊल-इस्लाम में पढ़े, कुछ समय के लिए गोकुलदास तेज प्राथमिक विद्यालय, बम्बई में भी पढ़े, फिर क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल कराची चले गए और अंत में उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से ही मैट्रिक पास किया।
शुरू में धार्मिक पहचान से जिन्ना को था परहेज –
जिन्ना के माता-पिता ने बच्चों की परवरिश बड़े ही खुले धर्म भाव से किया। जिसमे हिन्दू और मुस्लिम दोनों का प्रभाव था, इसलिए जिन्ना शुरू में धार्मिक रूप से बड़े ही उदारवादी थे। वो लम्बे समय तक लन्दन में थे पर वो अपनी धार्मिक पहचान बताने से परहेज़ करते थे। मुस्लिम लीग में आने से पहले तक उनके जीने का अंदाज़ मुस्लिमों से एकदम अलग था। शुरू में वो अपनी पहचान मुस्लिम बताने से भी बचते थे, पर बाद में सियासत उनको मुस्लिम लीग तक ले गई जिसके एक समय में वो कट्टर आलोचक हुआ करते थे। लेकिन बाद में वही जिन्ना मुस्लिम लीग के ऐसे पैरोकार बने कि उन्होंने धर्म के आधार पर देश को ही दो टुकड़ों में बाँट दिया था।