आचार्य चाणक्य भारतीय संस्कृति के एक ऐसे महान व्यक्तित्व थे, जिन्होंने ने अपनी बुद्धिमत्ता और क्षमता के बल से भारतीय इतिहास की धरा को बदल दिया। मौर्य साम्राज्य की स्थापना करने वाले चाणक्य सफल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में विश्वविख्यात हुए हैं।
कई सदी गुजरने के बाद भी आज यदि चाणक्य के बताये गए सिद्धांत और नीतियाँ प्रासंगिक हैं तो मात्र इसलिए क्योंकि उन्होंने अपने गहन अध्ययन, चिंतन और जीवन अनुभवों से प्राप्त अमूल्य ज्ञान को पूरी तरह नि:स्वार्थ होकर मानव कल्याण के उद्देश्य से लोगों तक पहुंचाया है।
चाणक्य नीति आचार्य चाणक्य की नीतियों का अद्भुत संग्रह है, जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना वह दो हजार चार सौ साल पहले था, जब इसे लिखा गया था।
आचार्य चाणक्य को अनेकों विषयों की विस्तार से जानकरी थी। फिर चाहे वो वैवाहिक जीवन हो या फिर नौकरी-व्यापार में तरक्की के मंत्र। आचार्य चाणक्य ने बताया है कि नौकरी-व्यापार में सफल होने के लिए व्यक्ति में कौन से गुण होना जरूरी है।
लक्ष्य के साथ बढ़ना
आचार्य चाणक्य के अनुसार सफलता तभी मिलती है जब लक्ष्य निर्धारित हो और सही उद्देश्य से कार्य किया जा रहा हो। नौकरी और व्यापर में यदि व्यक्ति अपना लक्ष्य निर्धारित कर कार्य करता है, तो उसके सभी कार्य सही दिशा में सफलतापूर्वक हो जाते हैं। कार्य को अगर प्लानिंग से किया जाये तो समय रहते उसे पूरा करना आसान हो जाता है। इसी प्रकार व्यापार में भी अपने काम को निर्धारित तरीके से करें ताकि नुक्सान न हो और सफलता पूर्वक कार्य भी हो जाए। यदि व्यक्ति बिना लक्ष्य निर्धारित किये ही कार्य करेगा तो भटकता रह जाएगा और समय से सफलता भी न हासिल होगी।
कार्य के प्रति अनुशासन
किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत और अनुशासन का होना बहोत ज़रूरी है। चाणक्य के अनुसार किसी व्यक्ति में अनुशासन की भावना मेहनत से ही विकसित होती है। अपने निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दूसरों के भरोसे नहीं बैढना चाहिए। चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति कितना ही सफल क्यों न हो जाए उसे लगातार अपना कार्य करते रहना चाहिए। व्यक्ति अगर अपना कार्य किसी और व्यक्ति को सौंप देगा तो उस कार्य को निर्धारित समय पर पूरा करना संभव नहीं हो पाएगा।
निष्ठा व लगन से कार्य करना
सच्ची निष्ठा व लगन से कार्य करने पर सफलता अवश्य ही प्राप्त होती है, निष्ठा सफलता की पहली निशानी है। कार्य के प्रति लापरवाह नहीं होना चाहिए, लापरवाही व्यक्ति के अच्छे कार्य को भी ख़राब कर सकती है। व्यक्ति नौकरी और व्यापर में अगर सच्ची निष्ठा से कार्य करता है तो सफलता ज़रूर मिलती है। लापरवाही से कार्य करने पर नौकरी के दौरान व्यक्ति की छवि ख़राब होती है, वहीं व्यापर में लापरवाही बरतने पर व्यक्ति को नुक्सान उठाना पड़ता है।
समय से निर्णय लेना
व्यक्ति को सही समय पर उचित निर्णय करना बहोत आवश्यक होता है, निर्यण लेने में देरी नहीं करनी चाहिए। चाणक्य के अनुसार व्यापार में नफ़े-नुक्सान की समझ होना बहोत ज़रूरी है, और इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए व्यक्ति को अपने विवेक से सही फैसले लेने चाहिए। नुक्सान होने पर आँसू बहाने से बेहतर है कि भविष्य की राणनीतियों पर ध्यान दिया जाए। अपनी जीवन में वह व्यक्ति ज़रूर सफल होता है जो असफलता से नहीं डरता है, इसलिए मुश्किल समय में निर्णय लेने से बिलकुल भी न डरें।
आचार्य चाणक्य की इन नीतियों का उपयोग करके व्यक्ति अपनी नौकरी व व्यापार में अपार सफलता हासिल कर सकता है। व्यक्ति को हर परिस्थिति के लिए स्वयं को तैयार रखना चाहिए। व्यक्ति के जीवन में जब हर तरफ से निराशा छा जाए तो चाणक्य की ये नीतियां मुश्किलों से उबरने के लिए एक उम्मीद के साथ उस व्यक्ति का मार्ग दर्शन करती है।