विश्व भर में कोरोना महामारी वैश्विक महामारी के रूप में उभरा है। इस महामारी की वजह से पूरे विश्व में हाहाकार मच गया है।
ऐसे में कोरोना ने सभी के जिंदगी पर गहरा प्रभाव डाला है। बच्चों के जीवन पर कोरोना का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा। लॉकडाउन की वजह से पिछले डेढ़ साल से घरों में बंद रहे बच्चों का मानसिक स्वास्थ सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स , AIIMS) संस्थान नई दिल्ली में मनोविज्ञान चिकित्सक विभाग के प्रोफेसर डॉ राजेश सागर का कहना है कि बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से अत्यंत कोमल होते हैं। बच्चों पर किसी भी प्रकार का तनाव या चिंता बच्चों की मानसिक स्थिति पर गहरा प्रभाव डालता है।
महामारी की वजह से बच्चों के जीवन में होने वाली तमाम गतिविधि बंद हो गई है। जैसे स्कूल का ऑनलाइन हो जाना, कोरोना के डर से बाहर ना निकलना, यह सारी चीजें बच्चों की मानसिकता पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
कोरोना की लहर में कितने बच्चे अनाथ हुए जिसका असर बच्चों के दिमाग पर भी पड़ा। कोरोना के कारण बच्चों को एक स्वस्थ माहौल ना मिलने पर उनके विकास पर भी गहरा असर पड़ा है।
ऐसे में तनावग्रस्त बच्चों के साथ किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए। इस संबंध में डॉक्टर सागर का कहना है कि किसी दबाव में या तनाव की स्थिति में बच्चों के अंदर चिड़चिड़ापन आ जाता है, जिस कारण वह अपने बड़ों के साथ विपरीत व्यवहार करने लगते हैं।
कुछ बच्चे पेरेंट्स को बिल्कुल नहीं छोड़ते हैं तो वहीं कुछ शांत हो जाते हैं और अपने आप को अलग कर लेते हैं, कुछ आक्रामक हो जाते हैं तो कुछ निराश हो जाया करते हैं।
ऐसे में बच्चों के मानसिक स्थिति को समझ पाना माता-पिता के लिए अत्यंत मुश्किल होता है।
किसी प्रकार की दहशत, बीमारी या किसी अपने की मौत उन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
कभी-कभी बच्चे अपनी बातों को डर और चिंताओं को सही तरीके से अपने माता-पिता से व्यक्त नहीं कर पाते हैं।
ऐसे में डॉक्टर सागर का कहना है कि माता-पिता को अपने बच्चों के व्यवहार पर नजर रखना चाहिए। और अपने बच्चों के लिए अच्छा माहौल बनाना उनके अत्यंत आवश्यक है।
सकारात्मक व्यवहार से बच्चों के मानसिक स्थिति को बदलें-
महामारी की वजह से बच्चों में सकारात्मक माहौल, प्रोत्साहन और सामाजिक संपर्क की अत्यंत कमी होने के कारण बच्चों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है।
इसलिए उन्हें मौज मस्ती से भरपूर तरह-तरह की एक्टिविटी में व्यस्त रखना चाहिए। खेलों के माध्यम से उनके ज्ञान भी वृद्धि करनी चाहिए। देखा जाए तो बड़े बच्चों के लिए यह समय अत्यंत कठिन है। महामारी उनकी पढ़ाई और योजनाओं पर असर डाला है।
ऐसे में पेरेंट्स या टीचर्स को बच्चों को यह समझाना चाहिए कि जिस स्थिति में वह है उनके जैसे लाखों बच्चे इस परेशानी से जूझ रहे हैं।
पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि वह मौजूदा हालात को स्वीकारते हुए बच्चों का सहयोग करें और उनको सकारात्मक माहौल दें।
एक सुरक्षित वातावरण बच्चों को इन सारी समस्याओं से दूर रख सकता है।