अगर किसी लक्ष्य को निर्धारित कर लिया जाए तो कोई कार्य कठिन तो हो सकता है पर असंभव नहीं। अकेला व्यक्ति भी काया पलटने की ताकत रखता है, दिव्यांग गणेश नाईक ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। इस दिव्यांग व्यक्ति ने अकेले ही अपने रास्ते में पड़ने वाले खस्ताहाल सड़क की मरम्मत कर दी है।
गणेश नाइक ओडिशा के धर्मगढ़ प्रखंड में आने वाले केरामुंडा गांव के निवासी हैं, बचपन से ही गणेश पोलियो से ग्रसित हैं। 31 वर्षीय गणेश जीवन यापन के लिए हस्तचलित ट्राइसाइकल से सब्जी बेचने का काम करते हैं। उनके गांव केरामुंडा से जोरपाड़ा जाने वाली सड़क से वो प्रतिदिन सब्ज़ी बेचने के लिए जाते हैं, इस सड़क की दशा बहुत दयनीय है। हर रोज़ कोई न कोई घटना हो ही जाती है, कई बार अपनी ट्राइसाइकल से गणेश खुद भी गिर कर घायल हो चुके हैं। ब्लॉक और पंचायत के अधिकारी भी इस रस्ते की कोई सुध नहीं ले रहे थे, ऐसे में गणेश ने निश्चय किया और बिना किसी की मदद लिए खुद ही सड़क बनाने में जुट गए।
अकेले ही करने लगे सड़क की मरम्मत
गणेश सब्ज़ी बेचने वो अन्य ज़रुरत के कामो से अक्सर इसी सड़क से होकर गुज़रते हैं। सड़क की हालत इतनी ख़राब हाल थी की चलना दुर्भर था, कई बार गणेश अपने तिपहिया तट्राइसाइकल से गिर दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। जब सब इस इंतज़ार में बैठे थे की कोई इस सड़क को बनवाएगा, ऐसे में गणेश ने इंतज़ार किये बिना ही खुद से सड़क की मरम्मत स्टार्ट कर दी। और देखते ही देखते उन्होंने 1 किलो मीटर तक सड़क की मरम्मत कर दी।
ट्राइसाइकल से लाते थे मरम्मत का सामान
गणेश अपने दिव्यांगता कि बाधा को दरकिनार करते हुए ख़राब सड़क की मरम्मत में लग गए और इस कार्य को करने के लिए किसी की मदद भी नहीं लिए यहाँ तक की मरम्मत में लगने वाली सामग्रियां भी वो अपनी ट्राइसाइकल पर ही ले आते थे। बार-बार सड़क पर गिरने और चोट लगने से परेशान होकर दिव्यांग गणेश ने वो कर दिखाया जो सही सलामत रहते हुए भी लोग नहीं कर पते हैं।
सोशल मीडिया पर वीडियो हुआ वायरल
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्त्ता सुंदरलाल मांझी के अनुसार “जब गणेश गड्ढों की मरम्मत कर रहा था तो किसी ने उसका वीडियो बनाया और फिर सोशल मीडिया पर साझा कर दिया, ऐसे में ये वीडियो वायरल हो गया। इसके बाद ब्लॉक और पंचायत अधिकारियों ने इलाके का दौरा किया और सड़क के क्षतिग्रस्त हिस्सों पर क्रशर की धूल डाल दी। मांझी ने आगे कहा कि, ‘गणेश का ये काम आंखें खोलने वाला है, लेकिन पंचायत को मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और वहां पक्की सड़क का निर्माण करना चाहिए।
गणेश नाइक के इस साहसी कदम ने न जाने कितने लोगों की ज़िन्दगियों को सकारात्मकता की दिशा दिखाई है। किस तरह से दिव्यांग होते हुए भी उन्होंने हिम्मत दिखाते हुए खुद से सड़क की मरम्मत में लग गए और उस कार्य को पूरा किया।