देशभर में इंटरनेट के बढ़ते प्रयोग के साथ पैसे से जुड़े ऑनलाइन गेमिंग में भी लोगों की रुचि बढ़ रही है। बड़ी तादात में ग्रामीण युवा और बच्चें भी इस ऑनलाइन गेमिंग का शिकार हो रहे है और दूसरी तरफ देश में इन गेम्स को खेलने से रोकने के नियम कायदे लगभग न के बराबर कुछ राज्यों में जुए के समान माना जाने वाला गेम ऑफ चांस जैसे ऑनलाइन खेल प्रतिबंधित है। लेकिन यह राज्य सरकारों के दायरे में आता है कि उसे प्रतिबंधित माना जाए या नहीं।ऑनलाइन रियल मनी गेम यानी पैसे लगाकर खेले जाने वाले ऑनलाइन गेम्स को लेकर देश में कोई कानून नहीं आया है।
साल 2022 में लगभग 42 करोड़ सक्रिय ऑनलाइन गेमर्स
बता दें कि अप्रैल 2022 को कांग्रेस सांसद डीन कुरियाकोस ने ऑनलाइन गेमिंग (रेगुलेशन) बिल, 2022 पेश किया. बिल में बताया गया कि भारत में साल 2022 में लगभग 42 करोड़ सक्रिय ऑनलाइन गेमर्स हैं। साल 2021 में लगभग 390 मिलियन सक्रिय ऑनलाइन गेमर्स दर्ज किए गए थे। वहीं 2020 में 360 और 2019 में 300 मिलियन गेमर्स दर्ज किए गए. भारतीय ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र हर साल करीब 30 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। इसी बिल में बताया गया कि यह इंडस्ट्री साल 2025 तक पांच बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी।
ऑनलाइन गेम बन रहे आत्महत्या के कारण
साल 2022 के सितंबर महीने में गुजरात में रहने वाले एक 21 वर्षीय छात्र ने ऑनलाइन गेम खेलने के दौरान कर्ज में आने की वजह से परेशान होकर अपने हॉस्टल के कमरे में आत्महत्या कर ली। उसने अपने कमरे में एक सुसाइड नोट भी छोड़ा था, जहां मृतक ने स्पष्ट रूप से कर्ज को इस तरह के कदम उठाने का कारण बताया था।
वहीं पिछले साल 2 अगस्त को मध्य प्रदेश के छतरपुर में रहने वाले राहुल पाण्डेय के बेटे ने भी खुदकुशी कर ली थी। उसके परिवार वालों ने बताया कि वह ‘फ्री फायर’ नाम का एक ऑनलाइन शूटिंग गेम खेला करता था। इस खेल में पैसों की जरूरत पड़ती है. मृतक ने ऑनलाइन सट्टेबाजी के लेनदेन के लिए मां के अकाउंट से 40,000 रुपये खर्च कर दिए थे।”
देश का जुआ कानून 1867-
इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए राज्य सरकार ने अपने अनुसार कदम उठाये है ऑनलाइन गेमिंग को लेकर इंटरनेट सुरक्षा कार्यकर्ताओं का कहना है कि देश का जुआ कानून, जो 1867 से है और वह केवल गेम ऑफ चांस के खेल पर प्रतिबंध लगाता है। उनके मुताबिक यह पुराना कानून तेजी से बढ़ते ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को संचालित करने और बच्चों और गरीबों जैसे कमजोर खिलाड़ियों की रक्षा करने के लिए अपर्याप्त है।
मुंबई स्थित अधिकार समूह रेस्पॉन्सिबल नेटिज्म के सह-संस्थापक उमेश जोशी के मुताबिक, “हमने देखा कि महामारी के दौरान ऑनलाइन गेमिंग और जुआ खेलना बढ़ गया है और हमने कमजोर लोगों यहां तक कि बच्चों पर पड़ने वाले मानसिक स्वास्थ्य प्रभाव और अन्य प्रभाव देखे हैं।”
उन्होंने कहा, “निश्चित रूप से इस क्षेत्र में नियमन की जरूरत है, लेकिन हमें यूजर्स की शिक्षा, विज्ञापन पर नियम, आयु सत्यापन और प्लेटफॉर्म द्वारा ऐप्स की बेहतर निगरानी की भी जरूरत है. पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना कोई समाधान नहीं है, क्योंकि प्रतिबंध काम नहीं करते हैं।”
सभी हितधारक मंत्रालयों जिनमें मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रोनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय भी शामिल हैं, उनके बीच इस हफ्ते बैठक होने की संभावना है। ये सभी मंत्रालय के अधिकारी मिलकर इस बात पर विचार-विमर्श करेंगे कि ऑनलाइन गेमिंग के क्या फायदे और नुकसान हैं। इसके अलावा क्या ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के जरिए टैक्स चोरी की जा रही है-इस पर भी चर्चा होगी। इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये खबर आई है।