सरकारें नपुंसक हो गई हैं – सुप्रीम कोर्ट हेट स्पीच मामले पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही हैं

By Mohd Badruzzama Siddiqui
Share

देश में बढ़ती हेट स्पीच और इसपर चुप्पी साधने वाले सरकारों पर फूटा सुप्रीम कोर्ट का गुस्सा। सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच मामले में सरकारों के नज़रिये पर चिंता जताई है। कोर्ट ने राजनीती में बढ़ते धर्म की मिलावट को ही हेट स्पीच का जनक कहा है।

हेट स्पीच मामले की सुनवाई जस्टिस K.M. जोसफ और B.V. नागरत्ना की बेंच कर रही है। सुनवाई के दौरान बेंच ने सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा, क्या सरकारें नपुंसक हो गई हैं, जो मूकदर्शक बने सब कुछ देख रही हैं? ऐसे लोगों के खिलाफ कार्यवाई क्यों नहीं की जा रही? हमारी चिंता की वजह है की राजनेता सत्ता हासिल करने के लिए धर्म के इस्तेमाल को चिंता का विषय बनाते हैं।

राजनीती में धर्म की मिलावट लोकतंत्र के लिए खतरनाक

जस्टिस के. एम. जोसेफ और जस्टिस बी. वी. नागरत्ना की बेंच ने हेट स्पीच को लेकर आपत्ति जताई और कहा कि हर दिन कुछ लोग टीवी और सार्वजनिक मंचों पर दूसरों को बदनाम करने के लिए भाषण दे रहे हैं। क्या ऐसे लोग खुद पर कंट्रोल नहीं रख सकते? इस पर रोक लगनी चाहिए।

अदालतें कितने लोगों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू कर सकती है। अदालत ने राजनीती में धर्म के इस्तेमाल पर भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, जिस वक्त राजनीति और धर्म अलग हो जाएंगे और नेता राजनीति में धर्म का उपयोग बंद कर देंगे, ऐसे भाषण समाप्त हो जाएंगे। हम अपने हालिया फैसलों में भी कह चुके हैं कि धर्म को राजनीति के साथ मिलाना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।’

गो टू पकिस्तान से नागरिकों का अपमान

कोर्ट ने कहा कि कभी हमारे पास नेहरू, वाजपेयी जैसे वक्ता हुआ करते थे। दूर-दराज से लोग उन्हें सुनने के लिए आते थे। अब लोगों की भीड़ फालतू तत्वों को सुनने के लिए आती है। गो टू पाकिस्तान जैसे बयानों से नियमित रूप से नागरिक गरिमा को तोड़ा जाता है। अब हम कहां पहुंच गए हैं?

हेट स्पीच से निजात पाने के लिए धर्म को राजनीति से अलग करना होगा। कोर्ट ने कहा किस-किस पर अवमानना की कार्यवाही की जा सकती है। इससे बेहतर तो यह होगा कि लोग यह संकल्प लें कि वह किसी भी नागरिक या समुदाय का अपमान नहीं करेंगे।

कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को कहा नपुंसक

जस्टिस K.M. जोसेफ ने हेट स्पीच मामले में महाराष्ट्र राज्य सरकार के रवैये को लेकर कहा, हम अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं, क्योंकि ‘राज्य नपुंसक हैं। वे समय पर काम नहीं करते। जब राज्य ऐसे मसलों पर चुप्पी साध लेंगे तो फिर उनके होने का मतलब क्या है? अगर राज्य चुप है तो उसका जिम्मा हमारे पर क्यों नहीं होना चाहिए? आपको बता दें, बेंच एक अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

शाहीन अब्दुल्ला ने हेट स्पीच पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद हेट स्पीच पर रोक नहीं लगी है। हिंदू संगठन अब भी हेट स्पीच दे रहे हैं और महाराष्ट्र सरकार पूरी तरह विफल है।

इस मामले में महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से इस पर जवाब मांगा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होनी है।

This post was published on March 30, 2023 2:57 pm

Mohd Badruzzama Siddiqui