आज कारगिल युद्ध को 22 साल पूरे हो चुके हैं। कारगिल युद्ध में देश के 527 वीर जवानों अपनी शहादत दी। ना जानें कितनी तकलीफों,परेशानियों को झेलतें हुए भी देश के वीर जवानों ने जम कर मोर्चा संभाला। कारगिल युद्ध इतिहास के पन्नों में अपने आप को समा कर रख लिया।
उस समय हालात ऐसे थे कि देश का जवान जब दुश्मन के एक आदमी को मारता था। तो भारत के 10 जवानों का नुकसान होना तय था। भारत और पाकिस्तान की तरफ से लगातार गोलियों की बौझार हो रही थी। मई 1999 में शुरू हुई कारगिल की जंग में भारत के जवानों ने पाकिस्तान को करारी मात दीं थी।
मई में आरम्भ हुआ यह जंग जुलाई तक चला और 26 जुलाई को भारत सरकार ने अपनी जीत की घोषणा कर दी । तब से ही यह दिन ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। कारगिल युद्ध जब शुरू हुआ तो उस समय भारतीय सेना में महिला अधिकारियों का ज्यादा बोलबाला नहीं था।
उस समय महिला पायलट की पहली बैच की 25 पायलट में गुंजन सक्सेना शामिल थी। गुंजन सक्सेना वह महिला थी। जिन्होनें कारगिल युद्ध में 18,000 फुट की ऊंचाई पर ‘चीता ‘ हेलीकॉप्टर उड़ाया और कारगिल में हमारे भारतीय सैनिकों की सहायता कर के अपना नाम ‘भारतीय शोर्य’ की किताब दर्ज करवा लिया।
गुंजन सक्सेना वह महिला रहीं जो कारगिल युद्ध में हेलीकॉप्टर उड़ाने वाली वायुसेना की पहली महिला पायलेट थीं। उनका कार्य कारगिल युद्ध में सैनिकों को युद्धक्षेत्र से निकाल कर ले आना और दुश्मन पर निगरानी रखने में सहायता करना था। गुंजन के कन्धों पर बड़ी चुनौती थी। क्योंकि हवा में पाकिस्तान की तरफ़ से लड़ाकू विमान नज़र गड़ाए बैठे थे।
इन हालातों में गुंजन सक्सेना ने वह कर दिखाया जो शायद असंभव था। पूरे देश में गुंजन सक्सेना को कारगिल गर्ल के नाम से जाना जाता है। आज गुंजन पूरे देश की महिलाओं के लिये प्रेरणादायक बन कर उभरी हैं।
आज पूरा देश कारगिल दिवस पर वतन के लिए खुद के जान को कुर्बान करने वालें शहीदों को नतमस्तक करता है।