कथा/कहानी
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December 1, 2022 6:33 pm

21 मुखी रूद्राक्ष का रहस्य जानें पहनते कैसे हो जाते लोग मालामाल

By Shikha Pandey
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जीवन में हर व्यक्ति आमिर और धनवान बनने का सपना देखता है। हर कोई चाहता है की माँ लक्ष्मी की कृपा उस पर सदैव बनी रहे।  इस दौरान वह अपने भाग्य को चमकाने के लिए तरह-तरह का उपाय भी करते है। ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि धन-दौलत और स्वर्ण की चाह रखने वालों को 21 मुखी रूद्राक्ष कैसे बना देता है। धनवान और घर में रखने से क्या-क्या हो सकता आपको लाभ।

धारण करने से निर्धन भी धनवान हो जाता-

21 मुखी रूद्राक्ष अगर आप अपने घर में रखते है तो आपके घर में शांति एवं सद्भाव का वातावरण पैदा होगा और यह 21 मुखी रूद्राक्ष अपार समृद्धि लेकर आएगा इसे पहनने से आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि होती है और व्यक्ति सत्य और संयमित जीवन जीने की राह पर चल पड़ता है।भगवान कुबेर का स्वरूप यह रूद्राक्ष धन धान्य की कमी को दूर करता है। इसे धारण करने से निर्धन भी धनवान हो जाता है। भूमि, भवन, संपत्ति, वाहन सुख इस रूद्राक्ष को पहनने से स्वयं ही खिंचे चले आते हैं।प्रेम, सौंदर्य और आकर्षण प्रभाव में वृद्धि भी इस रूद्राक्ष को पहनने से होती है। यह रूद्राक्ष उन लोगों को जरूर पहनना चाहिए जो अपने कार्यक्षेत्र में शीर्ष पर हैं या किसी कंपनी में बड़े ओहदे पर बैठे हैं। जिनका बड़ा बिजनेस है, राजनेता आदि को यह जरूर पहनना चाहिए। इससे वे अपने क्षेत्र में टॉप पर बने रह सकते हैं।

 

भगवान शिव और रुद्राक्ष का गहरा संबंध-

देवों के देव महादेव कहे जाने वाले भगवान शिव और रुद्राक्ष का गहरा संबंध है।रुद्राक्ष को हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना गया है। रुद्राक्ष दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला शब्द है रुद्र अर्थात भगवान शिव और दूसरा शब्द है अक्ष अर्थात नेत्र। मान्यता है कि भगवान शिव के नेत्रों से जहां-जहां अश्रु गिरे वहां रुद्राक्ष के वृक्ष उग आए। भगवान शिव को लेकर कई सारी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। आपने भगवान शिव को रुद्राक्ष की माला धारण किए हुए देखा होगा। भगवान शिव से जुड़े होने के कारण रुद्राक्ष को बहुत ही पवित्र माना जाता है। रुद्राक्ष को धारण करने मात्र से ही जीवन से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसूओं से हुई थी। इसलिए इस भगवान शिव का स्वरूप माना गया है।

रूद्राक्ष को धारण करने का सबसे उचित समय-

इस रूद्राक्ष को धारण करने का सबसे उचित समय है मासशिवरात्रि या प्रदोष तिथि। इनके अलावा किसी भी शुक्ल पक्ष के सोमवार के दिन इसे धारण किया जा सकता है। धारण करने से पहले इसे गंगाजल, कच्चा दूध और फिर गंगाजल से धोकर पवित्र कर लें। इसके बाद पूजन करके शिवलिंग से स्पर्श करवाकर शिव पंचाक्षरी मंत्र ‘ऊं नम: शिवाय” की एक माला जाप करके सोना, चांदी या लाल धागे में पहना जा सकता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

This post was published on December 1, 2022 6:33 pm

Shikha Pandey

Content Writer