कथा/कहानी
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December 23, 2022 7:43 pm

जानें कौन था वह शिव भक्त जिसके लिए भगवान भोलेनाथ ने जोती चालीस एकड़ जमीन

By Shikha Pandey
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भगवान भोलेनाथ देवों के देव महादेव के भक्तों की बात की जाए तो उन्हे देखते ही हर कोई यह जान लेता कि वह शिव का भक्त हैं। क्योंकि शिवभक्तों की बात ही कुछ अलग और निराली होती है। शिव अनादि हैं। सम्पूर्ण    ब्रह्मांड शिव के अंदर समाया हुआ है।

आज हम आपको एक ऐसे शिव भक्त के बारे में बताने जा रहे जिसके लिए भगवान शिव खुद ही धरती पर उतर कर चालीस एकड़ जमीन जोती थी। ये बात सभी को हैरान कर देगी। मगर यही सत्य है। आज भी तिरुपुंगुर में यही कहानी प्रचलित है।

दरअसल देश के दक्षिणी हिस्से में स्थित तमिलनाडु भारत के प्रसिद्ध राज्यों में से एक है। इसी राज्य में एक बंधुआ मजदूर था। वह तिरुपुंगुर में शिव के दर्शन करना चाहता था। मगर वह समाज में अछूत का जीवन जी रहा था। इस बधुवा मजदुर का कोई भी नाम नहीं था।

वह बंधुआ मजदूर के साथ-साथ हलवाहे के नाम से भी जाना जाता था। बचपन से ही हलवाहे को यह हमेशा से प्रतीत होता था कि उसे भगवान भोलेनाथ बुला रहे है। हमेशा से शिव का विचार उसके मन में चलता रहता था। एक बंधुआ मजदूर के रूप में उसे ख़ुद का विचार बनाने की इजाजत नहीं थी, मगर शिव का विचार उसे जोश से भर देता था।

वह जहां रहता था, वहां से सिर्फ पच्चीस किलोमीटर दूर तिरुपुंगुर का प्रसिद्ध शिव मंदिर था। वह हमेशा से इस मंदिर में जाना चाहता था। क्योंकि उसे लगता था कि शिव उसे बुला रहे हैं। उसने कई बार जमींदार को अपनी बात समझाने की कोशिश की – ‘मैं सिर्फ एक दिन के लिए मंदिर जाकर वापस आ जाऊंगा। मुझे भगवान भोलेनाथ का दर्शन करना है ’ लेकिन जमींदार हमेशा कुछ न कुछ कह कर टाल देता था। जिस कारण वह मंदिर नहीं जा पाता था।

एक दिन सुबह के समय हर रोज की तरह हलवाहे अपने काम के लिए जाने ही वाला था कि अचानक उसके पूरे शरीर में नए तरह की ऊर्जा फड़कने लगी। ये बात हलवाहे भी नहीं समझ पाया की आखिर उसके साथ यह क्या हो रहा है। फिर वह जाकर जमींदार के सामने एक अलग तरह खड़ा हो गया। मानों वह बधुवा मजदूर नहीं कोई और ही है।

हलवाहे का इस तरह से खड़ा होना जमींदार को बड़ा ही अजीब लगा और वह फिर शुरू हो गया, ‘मूर्ख कहीं के! पिछली बार तुम्हारी मां बीमार थी, उससे पहले बहन की शादी थी, उससे पहले तुम्हारी दादी तीन बार मरी। अब तुम मंदिर जाना चाहते हो, यह नहीं हो सकता।’वह बोला, ‘मैं आज ही सारा काम कर दूंगा। कल सिर्फ एक दिन की बात है, मैं जाकर वापस आ जाऊंगा।’

उस एक पल में जमींदार ने हार मानकर कहा, ‘ठीक है, जाओ। शाम से पहले वापस आ जाना।’ फिर अचानक उसे प्रतीत हुआ कि उसने ये क्या कह दिया। वह आगे बोला, ‘जाने से पहले तुम्हें पूरे चालीस एकड़ जमीन को जोतना होगा। अभी शाम है। सुबह से पहले तुम जुताई पूरी करके ही मंदिर जा सकते हो।’हलवाहा इतना मूर्ख नहीं था कि इसकी कोशिश भी करता। वह चुपचाप सोने चला गया। उसका पूरा शरीर फड़क रहा था। वह जानता था कि इस बार उसे मंदिर जाना ही है, चाहे इसका नतीजा कुछ भी हो।

अगले दिन जब वह मजदूर उठा तो गांव में हाहाकार मचा हुआ था। दरअसल वहां मौजूद सभी लोग यह देख कर हैरान थे कि सारी चालीस एकड़ जमीन जोती हुई थी। जब वहां जमींदार पंहुचा, तो उसका भी मुँह खुला का खुला रह गया था। जमींदार के बीवी-बच्चे आकर हलवाहे के पैरों पर गिर पड़े। सभी को यही लग रहा था कि मजदूर अकेले ही इस खेत की जुताई की है। इस बात को लेकर हलवाहे भी हैरान था। मगर वह कुछ समझ नहीं पा रहा था।

जिसके बादलोगों ने आकर उसके हाथों में चांदी के सिक्के रख दिए, किसी ने उसके हाथ में भोजन का थैला रख दिया। किसी ने उसे छड़ी पकड़ा दी और कहा, ‘यह मंदिर जा रहा है, इसे ईश्वर ने खुद चुना है। शिव ने इसके लिए खुद आकर चालीस एकड़ जमीन जोत दी।’

कुछ ही देर बाद मजदूर बड़े ख़ुशी से मंदिर गया। मगर एक अछूत होने के कारण पुजारी उसे मंदिर की देहरी पार नहीं करने दिया । वह मंदिर के बाहर खड़ा रहा। मगर वह सिर्फ एक बार शिव के दर्शन करना चाहता था।
तभी अचानक उसके रास्ते में खड़ी नंदी की विशाल मूर्ति एक ओर खिसक गई और वह भगवान शिव का दर्शन कर लिया। आज भी तिरुपुंगुर में नंदी की मूर्ति एक ओर को है।बाद में लोग इस शख्स को नंदनार बुलाने लगे और वह एक मशहूर संत बन गया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

This post was published on December 23, 2022 7:43 pm

Shikha Pandey

Content Writer