मौलाना आज़ाद नेशनल फेलोशिप MNAF को बंद करने को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार कल 12 दिसंबर को भारी संख्या में छात्र/छात्राएं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का घेराव करने के लिए शास्त्री भवन पर प्रोटेस्ट कर रहे थे। प्रोटेस्ट में डॉ बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय (AUD), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), जामिया मिलिया इस्लामिया (JMI) और दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के छात्र/छात्राएं शामिल थे। दिल्ली पुलिस ने 100 से अधिक छात्रों को शास्त्री भवन से हिरासत में लिया था, जो MANF को बंद करने का विरोध कर रहे थे।
आपको बता दें कि, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने साल 2009 में सच्चर कमेटी की शिफारिश पर मौलाना आज़ाद नेशनल फेलोशिप योजना शुरू की थी। जिसके अंतर्गत 6 अनसूचित अल्पसंख्यक समुदायों मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी छात्रों को PhD और M.Phil के लिए सरकार की ओर से 5 साल तक प्रति माह 25,000 से 30,000 कि धनराशि जाती थी।
सरकार ने क्यों बंद किया MANF स्कॉलरशिप
बीते सप्ताह केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि केंद्र सरकार ने मौलाना आज़ाद नेशनल फेलोशिप को बंद कर दिया है। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में कांग्रेस सांसद TN प्रतापन MANF को लेकर सवाल किया था। जिसके जवाब में केंद्रीय मंत्री ईरानी ने बताया कि MANF केंद्र द्वारा उच्च शिक्षा के लिए दी जा रही अन्य योजनाओं को ओवरलैप कर रहा था, इसलिए सरकार इसे बंद करने का फैसला लिया है। उन्होंने आगे कहा MANF योजना को UGC द्वारा दिया जाता था। UGC के आकंड़ों के मुताबिक, 2014-15 और 2021-22 के बीच 6,722 छात्रों को 738.85 करोड़ रुपये की फैलोशिप दी गई थी।
प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस ने की बर्बरता
एडेक्सलाइव वेबसाइट न्यूज़ के मुताबिक, हिरासत में गई AUD कि छात्रा ने बताया “यह एक शांतिपूर्ण विरोध था। जब से हम शास्त्री भवन पहुंचे, पुलिस हमारे साथ हिंसक थी। उन्होंने शुरू से ही छात्रों को घसीटना शुरू कर दिया। अब, वे हमें मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन में हिरासत में लिया है, और हमें यह नहीं बताया जा रहा है कि आगे की प्रक्रिया क्या है। कल से, दिल्ली पुलिस के सदस्य इस विरोध के संबंध में हमें धमकी दे रहे हैं। वे हमें बता रहे हैं कि वे आपराधिक शिकायत दर्ज करेंगे कुछ छात्र घायल भी हुए हैं।” उन्होंने कहा कि छात्रों का थाने पर विरोध प्रदर्शन जारी है।
MANF छात्रों ने सुनाई आपबीती
पिछले हफ्ते लोकसभा में केंद्रीय मंत्री ईरानी अपने लिखित बयान में कहा कि इस योजना को इसलिए बंद किया जा रहा है क्योंकि यह योजना अन्य छात्रवृत्ति योजनाओं के साथ ओवरलैप हो गई है। हालांकि, MANF का लाभ उठा रहे छात्र/छात्राओं ने इसको नकारते हुए कहा कि इस योजना को खत्म करने से अल्पसंख्यक समुदायों के कई छात्रों को उच्च शिक्षा का अधिकार नहीं मिलता है।
नेहा के अनुसार, यह एक विनाशकारी कदम है, “आज विरोध करने वाले कई छात्र उस योजना पर निर्भर थे और अब उनका करियर ख़तरे में है। सरकार कह रही है कि धन की कमी है और वे निजी विश्वविद्यालयों को चाहते हैं और शुल्क बढ़ाकर उन्हें स्व-वित्तपोषित करना चाहते हैं। सामाजिक न्याय के हित में, उन्हें छात्रवृत्ति और फैलोशिप की संख्या में वृद्धि करनी चाहिए, यदि ऐसा है। इसके बजाय, उन्होंने एमएएनएफ जैसे महत्वपूर्ण फेलोशिप को खत्म करने का फैसला किया है, जिसके लाभार्थी हाशिए की पृष्ठभूमि से आते हैं।
एक और MANF लाभार्थी DU के Phd छात्र शाकिर कहना है कि छात्रवृत्ति न मिलने के कारन उनका शोध खतरे में पड़ जाएगा। उन्होने कहा “मुझे अनिवार्य रूप से अपने शोध को रोकना होगा, या इसे जल्द ही जमा करने के लिए दौड़ना होगा। मेरी शैक्षणिक यात्रा यहीं रुक जाएगी। एक शोध विद्वान होने से जुड़ी लागतें हैं जो मैं इस छात्रवृत्ति के बिना वहन नहीं कर सकता।”