दीपावली Diwali का पर्व हर साल अक्टूबर-नवंबर महीनें में मनाया जाता है। अब दिवाली Diwali अक्टूबर में पड़ेगा या नवंबर में यह चंद्रमा की दशा पर निर्भर करता है। दिवाली हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है इस दिन भगवान राम और सीता 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। दीवाली Diwali का यह त्यौहार पूरे देश में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। यह त्योहार पांच दिन तक चलता है, जिसमें घर की साफ सफाई से लेकर पूजन तक कई परम्पराएं हैं। माता लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन दीपावली Diwali का मुख्य पूजन होता है। कहा जाता है कि लक्ष्मी मां के प्रसन्न होने पर घर में सुख-समृद्धि दोनों आती है।
जानें दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त
दिवाली, जो रोशनी का त्योहार है, अंधेरे पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और कार्तिक के हिंदू महीने में ‘अमावस्या’ या अमावस्या के दिन आता है। इस वर्ष, यह 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा, जो सोमवार है। पांच दिवसीय उत्सव धनतेरस Dhanteras से शुरू होता है और भाई दूज के साथ संपन्न होता है। तीसरे दिन लोग सामूहिक रूप से दीवाली या दीपावली के उत्सव में भाग लेते हैं बता दें कि लक्ष्मी पूजा मुहूर्त शाम 06:54 बजे शुरू होता है और 08:17 बजे समाप्त होता है। अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर को शाम 05:27 बजे शुरू होती है और 25 अक्टूबर को शाम 04:18 बजे समाप्त होती है।
कैसे करे माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा
सबसे पहले माँ लक्ष्मीऔर भगवान गणेश की मूर्ती को पूजा की चौकी पर लाल कपडा बिछा कर बैठाये इसके बाद रोली, कुमकुम, चंदन, अष्टगंध, अक्षतऔर सुपारी, पंचामृत, हल्दी, रूई की बत्ती, लाल धागे की बत्तीनारियल, गंगाजल, फल, फूल, कमल गट्टा, कलश, आम के पत्ते, मौलीजनेऊ, दूर्वा, कपूर, दक्षिणा, धूप, दो बड़े दीपक, गेंहूं, खील, बताशे, स्याही, दवात इन सभी समाग्री के साथ भगवान गणेश और माँ लक्ष्मी की पूजा करे इससे माँ लक्ष्मी को प्रसन्न कर सकते है और उनकी कृपा पा सकते है।
पांडवों की वापसी की याद में भी मनाते दिवाली-
धन और सुख से जुड़ा, यह फसल के मौसम के अंत में शुरू होता है और समृद्धि की शुरुआत करता है। आमतौर पर यह माना जाता है कि स्कंद पुराण और पद्म पुराण जैसे प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में इस का त्योहार का उल्लेख है। जहां कई लोग इसे 14 साल के वनवास के बाद राम और सीता की वापसी की याद में मनाते हैं, वहीं अन्य लोग इस दिन 12 साल के अज्ञत्व के बाद पांडवों की वापसी की याद में मनाते हैं।
पांच दिवसीय भव्य उत्सव-
भारत में सबसे प्रतीक्षित त्योहारों में से एक दिवाली की तैयारी शरद ऋतु की शुरुआत से ही शुरू हो जाती है। लोगों के लिए घर के लिए सोना-चांदी, फर्नीचर और बर्तन खरीदना और अपने घरों को दीयों और रंगोली से सजाना एक आम बात है। दिवाली के दौरान लक्ष्मी और गणेश की भी पूजा की जाती है। पांच दिवसीय भव्य उत्सव धनतेरस, धन के त्योहार से शुरू होता है और इसके बाद दूसरे दिन नरक चतुर्दशी होती है। तीसरे दिन लोग दीपावली मनाते हैं और चौथे दिन दिवाली पड़वा, पति-पत्नी के बंधन को चिह्नित करते हुए मनाया जाता है। भाई दूज, जो भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित है, त्योहार के अंत का प्रतीक।