दीपावली से ठीक एक दिन पहले नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन सभी लोग यमराज देवता को प्रणाम कर के उन्हें दीपक जलाते ताकि उन्हें उनके जीवन की तामम तरह की परेशानियां और पापों से मुक्ति मिल जाती है यह त्यौहार नरकासुर और राजाबलि से भी जुड़ा है। पुराणों के मुताबिक इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर उबटन, तेल आदि लगाकर स्नान करना चाहिए।
शरीर पर तिल या सरसों के तेल की मालिश
बता दें कि नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर शरीर पर तिल या सरसों के तेल की मालिश करनी चाहिए। इसके बाद सरसों से बना उबटन लगाना चाहिए। उबटन लगाने के बाद पानी में दो बूंद गंगाजल और अपामार्ग यानी चिरचिटा के पत्ते डालकर नहाना चाहिए। स्नान करने के बाद इस दिन भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण के दर्शन करने चाहिए ऐसा करने से उम्र बढ़ती है और व्यक्ति के पाप खत्म होते है।
नरकासुर नामक राक्षस का वध
द्वापर युग में नरकासुर नामक राजा था,जो एक राक्षस था उसने अपने शक्ति से इंद्र और अन्य देवताओं को परेशान कर दिया था। वह देवताओं के साथ-साथ संतो और महात्माओं को भी परेशान कर रहा था। यहां तक कि नरकासुर ने संतों की 16 हजार स्त्रियों को बंदी बना लिया था। उसके इन अत्याचारों से परेशान देवता और संत मदद मांगने के लिए भगवान श्री कृष्ण की शरण में गए। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें नराकासुर से मुक्ति दिलाने का आश्वसान दिया। नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बनाया और फिर उन्हीं की सहायता से नरकासुर का वध कर दिया। इस प्रकार श्रीकृष्ण ने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध कर देवताओं व संतों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई। इसी की खुशी में दूसरे दिन यानि कार्तिक मास की अमावस्या को लोगों ने अपने घरों में दीये जलाएतभी से नरक चतुर्दशी और छोटी दिवाली का त्योहार मनाया जाने लगा।
धार्मिक मान्यता के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी इसलिए भी कहा जाता है क्योकि इस दिन अकाल मृत्यु से बचने और अच्छी सेहत के लिए यमराज से प्रार्थना भी करते है