पकिस्तान में अर्थव्यवस्था इतनी ख़राब हो चुकी है कि लोगों को रोटी खाना भी दुर्भर हो गया है। हालत ये है की पडोसी मुल्क के लोग इन दिनों ये सोच के अफ़सोस कर रहे हैं की, बॉर्डर उस पार लोगों को चीज़ें सस्ती व आसानी से मिल रही हैं और उन्हे उन चीज़ों के लिए मसक्कत के बाद दो गुना ही नहीं बल्कि कई सामानो में 10 गुना ज़्यादा रकम चुकाना पड़ रहा है।
भारत में जो आंटा 30-40 रु किलो है वही उस पार 133 से भी ऊपर है। यहाँ जो सिलेंडर हजार के आस-पास है तो वहीं पकिस्तान में 10 हज़ार के करीब है, उसमे भी आश्चर्यजनक ये है की वहां के लोग रसोई गैस पॉलीथिन में लेजाने को मज़बूर हैं।
नहीं बचा है विदेशी मुद्रा भण्डार
पकिस्तान की मुश्किलें दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। भयानक बाढ़ कि दंश झेलने वाला पकिस्तान अस्थिर सरकार, बिजली संकट, रोटी संकट के साथ ही चरमराती अर्थव्यवस्था को संभालने में पूरी तरह से विफल नज़र आ रही है। हालत इतने ख़राब हो चले हैं की पकिस्तान के पास मात्र 3 हफ्ते का आयात करने भर का विदेशी मुद्रा भण्डार (Foreign Exchange Reserves) बचा है। जिसकी वजह से देशभर में हाहाकार मचा हुआ है, वहां के लोगों के बारे में कहा जा रहा है कि बोटी तो छोड़ें रोटी खाना भी अब बजट के बहार हो चला है।
महंगाई इतनी कि रोटी खाना भी हुआ दुर्भर
पकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस हद तक टूट चुकी है की देश में मंहगाई ने लोगों के होश उड़ा दिए हैं। ख़बरों के मुताबिक लाहौर समेत कई शहरों में गेंहूं के आंटे कि भारी किल्लत देखने को मिल रही है। हालात इतने बुरे हो चले हैं कि 15 कि० वाले आंटे की थैली 2 हजार के पार हो गई है। आंटे के साथ ही देशभर में हर चीज़ मंहंगी हो गई है, 1 लीटर दूध कि कीमत 190 रु है तो पेट्रोल 215 रु। वहीं रोटी से ऊपर उठ कर बोटी की बात करें तो चिकेन 650 रु किलो० है, इसके साथ ही लोग दर्जनभर अंडे के लिए 330 रु देने के लिए मज़बूर हैं।
क्या है कीमत बढ़ने का कारण
पाकिस्तान के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, महंगाई का मुख्य कारण डॉलर के सामने लगातार कमजोर होता पाकिस्तानी रूपया माना जा रहा है। मौजूदा समय में 1 डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 226.6 पर पहुंच गया है। जिसका नकारात्मक प्रभाव नजर आ रहा है। आंकड़ों की मानें तो पकिस्तान की हालात आने वाले दिनों में और ख़राब हो सकते हैं। वहीं अगर हालिया आंटा संकट की बात करें तो बाजार में सब्सिडी वाले आटें का स्टॉक काम हो गया है।
इस संकट के पीछे खाद्य विभाग और आटा मीलों के बीच का कुप्रबंधन को बताया जा रहा है। लेकिन मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शाहबाज़ सरकार ने सब्सिडी का प्रभाव कम करने के लिए यूटिलिटी स्टोर्स कारपोरेशन के माध्यम से बिक्री के लिए आटा, चीनी और घी के दामों में 25 से 62% की बढ़ोतरी की है।