उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में किडनी रोग से ग्रसित रोगियों के लिए बॉम्बे सिक्योरिटी इंटेलिजेंस इंडिया लिमिटेड (BIS) ने एक बेहतरीन पहल की है। डायलीसिस के लिए लम्बी वेटिंग की दंश झेलने वाले इन मरीज़ों के लिए BIS मात्र 01 रु० में डायलीसिस की सुविधा उपलब्ध करा रही है। ये डायलीसिस सेंटर जिले के गोला ब्लॉक स्थित BIS के संस्थापक RN सिंह की स्मृति में उनके गांव भरौली में बनाई गई है। ग्रामीण क्षेत्र में बना ये डायलीसिस सेंटर 10 बेड का बनाया गया हैं, इस सेंटर पर डायलीसिस करने वाले मरीज़ों का सारा खर्च (पोस्ट ट्रीटमेंट व प्री ट्रीटमेंट) कंपनी उठाएगी।
इस सेंटर के बारे में जानने के बाद मीडिया लैंड नेटवर्क की टीम ने वहां का दौरा किया और इस सेंटर के शुरआत के बारे में जानने की कोशिश कि है, देखिये क्या बताया BIS कंपनी के महाप्रबंधक मनोज सिंह ने –
डायलीसिस में कितना खर्च आता है ?
लोकल की बात करें तो नॉर्मली 2600 रु लेते हैं जिसमे दवा इन्क्लुड नहीं होता है। इसमें भी पोस्ट ट्रीटमेंट और प्री ट्रीटमेंट, एग्जामिनेशन वगैरह नहीं कवर्ड नहीं होता है उसका खर्च अलग होता है. और ये रिमोट (ग्रामीण) क्षेत्र का रेट है। शहरों में और ज़्यादा ही रहता है। और ये एक डायलीसिस का खर्च है, अब रही बात डायलीसिस कि तो ये मरीज़ की कंडीशन पर निर्भर करता है की उसको हफ्ते में कितनी बार डायलीसिस करनी है। नॉर्मली हफ्ते में 2 डायलीसिस करनी होती है अगर मरीज़ की कंडीशन सही नहीं है तो ये 3 बार भी करनी पड़ जाती है।
01 रु में डायलीसिस करने की शुरुआत कैसे हुई ?
ये एक फ्री डायलीसिस सेवा है, पर मरीज़ों का रिकॉर्ड रखने के लिए संस्थान 1 रु की पर्ची काटी जा रही है। हमने अपना अकाउंट बुक मेन्टेन करने के लिए ये शुल्क रखा है ताकि ये रिकॉर्ड रहे की अबतक कितने लोगों का डायलीसिस किया गया है।
इसकी शुरआत के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा मेरे कंपनी BIS के चेयरमैन एंड संस्थापक RN सिंह जी किडनी रोग से ग्रसित थे, उनका सप्ताह में तीन बार डायलिसिस होता था। पिछले साल जब वो अपने गांव भरौली आये तो उनके साथ हिंदुजा हॉस्पिटल जैसे हाइली ट्रेंड डॉक्टर्स की टीम भी आयी। पर यहाँ गांव में घर पर उनको वो सुविधा महसूस नहीं हुई जो हॉस्पिटल में होती थी। और उनका मानना था की अगर इतनी सुविधाएं होते हुए भी उनको इतनी तकलीफ से गुज़ारना पड़ रहा है तो ग्रामीण क्षेत्र के गरीब लोगों का क्या हाल होता होगा।
फिर उन्होने अपने जन्मदिन पर ये एलान किया की उनकी कंपनी इस ग्रामीण क्षेत्र में सर्व-सुविधा से संपन्न 10 बेड का डायलिसिस सेंटर शुरू करेगी जो यहां के लोगों को फ्री सुविधा प्रदान करेगी। और इस सेंटर को रन करने में जो भी खर्च आएगा वो उनकी कंपनी बॉम्बे सिक्योरिटी इंटेलिजेंस इंडिया लिमिटेड वहन करेगी।
ऐसा काम तो सबको करना चाहिए ?
ऐसा सोचने के लिए हौसले की ज़रूरत होती है, सिर्फ पैसा होने से ये सब नहीं होता है। सिंह साहब के हौसले को तो सारा समाज भली-भांति जनता है की कैसे उन्होंने बॉम्बे में उत्तर भारतीय भवन बनाया था। करोड़ों रुपये खर्चकर भवन तैयार कराया और बाबू सत्य नारायण सिंह सभा गृह बनवाया जिसमे 5000 लोगों एक साथ फंक्शन में आ सकते हैं ये फुल्ली ऐरकण्डीशन है। इसको बनवाने के बाद सिंह साहब ने समाज को डोनेट कर दिया था। आपको बता दें की, वो उत्तर भारतीय संघ के अध्यक्ष भी रहे इसके साथ वो महाराष्ट्र में एमएलसी भी बनाये गए थे।
इस सेंटर पर किस तरह की मशीनें इस्तेमाल की जाएंगी ?
इस सेंटर पर अत्याधुनिक मशीने मंगाई गई हैं, जिसका इस्तेमाल करके मरीज़ों का इलाज किया जायेगा। ये सारी मशीने जर्मन मेड और इम्पोर्टेड मशीने हैं। ये मशीन पूरी तरह से बहार से इम्पोर्ट किया गया है इसका एक भी पुर्जा इंडिया में नहीं बनाया गया है। मेडिकल जानकारों के मुताबिक ये मशीन फुल्ली ऑटोमैटिक और सेफेस्ट हैं। यहां लगी मशीनों में प्रत्येक मशीन की कीमत 8 से 10 लाख के बीच है।
इन मशीनो के साथ और क्या सुविधाएं हैं ?
इन डायलिसिस मशीनो के अलावा यहां और भी मशीन हैं, जो इमरजेंसी अवस्था में इस्तेमाल कि जा सकेंगी। और इसके साथ ही यहाँ पर एक कम्पलीट आरो प्लांट की सुविधा दी गई है। क्यूंकि डायलिसिस के लिए बहोत ही महत्वपूर्ण होता है। इसके साथ ही यहां डायलिसिस के दौरान होने वाले कॉम्प्लीकेशन्स को हैंडल करने के लिए आधुनिक ट्राली भी है। इसमें इलेक्ट्रिक शॉक्ड मशीन इमरजेंसी लाइफ सेवर मशीन, मॉनिटर ऑक्सीजन समेत सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस ट्रॉली को मिनी ICU भी कहा जाता है।
डायलिसिस स्टाफ के लिए क्या सुविधाएं हैं ?
इस सेंटर को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए कंपनी ने नेफ्रोलाजिस्ट डॉ. आनंद बंका का सहयोग ले रही है। वो जिले के एक सफल नेफ्रोलाजिस्ट हैं, साथ ही सेंटर पर कुछ लोकल के और बॉम्बे से सहयोगी डॉक्टर व स्टाफ बुलाये गए हैं। इन स्टाफ की सुविधा के लिए सेंटर पर एक पेसेंट कंट्रोल स्टेशन बनाया गया है। जहाँ से आसानी से प्रत्येक बेड के मरीज़ को उचित ट्रीटमेंट दी जा सकती है। हर बेड के पास एक इमरजेंसी स्वीच भी दी गई है जिसका इस्तेमाल करने पर स्टाफ स्टेशन में एक अलार्म बजेगा और फ़ौरन कोई वार्ड बॉय या नर्स पेसेंट को अटैंड करेगा।
यहां मरीज़ कैसे रजिस्ट्रशन कर सकता है ?
ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को इसकी सुविधा मिल सके, इसके लिए कंपनी लखनऊ, वाराणसी, आजमगढ़, देवरिया आदि जिलों में होर्डिंग लगाने के लिए नगर निगम से संपर्क कर रही है। अन्य जिलों में प्रचार के अन्य संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है। और अभी तक हमारे पास 20 से अधिक मरीज़ों का रजिस्ट्रेशन हो चूका है। रजिस्ट्रेशन के लिए अभी मैनुअल प्रक्रिया है जो सेंटर पर आ के ही करना होगा। और यहाँ पर उम्र या किसी अन्य चीजों को देख कर कोई ख़ास सुविधा नहीं है। सेंटर पर जो पहले आएगा उसका पहले इलाज इलाज किया जायेगा।