आंख, शरीर के बहुमूल्य अंगों में से एक है। आंखें शरीर की बेहद नाजुक अंग होती हैं, यही वजह है की इनका बहोत ख्याल रखना होता है, अगर आंखों में कोई भी दिक्कत हो तो उसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। आंखों से संबंधित समस्याओं को लंबे समय तक नज़रअंदाज़ करने से उनकी रोशनी प्रभावित हो सकती है या हमेशा के लिए आंखों की रोशनी जा भी सकती है।
आज के मौजूदा समय में जब दुनिया पूरी तरह से डिजिटल की ओर बढ़ रही है, ऐसे मोबाईल और कंप्यूटर जैसे गैजेट्स के बढ़ते चलन ने आंखों के स्वास्थ को लेकर खतरा बढ़ा दिया है, जिसमे डिजिटल आई स्ट्रेन आंखों की एक बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है।
इसलिए आज हम आपको बातएंगे की आंखों से संबंधित कौन-कौन सी सामान्य समस्याएं हैं, इसके साथ ही हम आंखों को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी उपाय भी आपसे साझा करेंगे, और साथ ही साथ इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल करते समय कौन-कौनसी जरूरी सावधानियां बरतनी है इसके बारे में भी बात करेंगे।
ड्राई आई सिंड्रोम
दुनिया की बढाती रफ़्तार के साथ कंप्यूटर एवं मोबाइल जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के बढ़ते प्रचलन की वजह से लोगों में ड्राई आई सिंड्रोम की समस्याएं बढ़ती ही जा रही है। इसमें या तो आंखों में आंसू कम बनने लगते हैं या उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं रहती। आंसू, आंखों के कार्निया एंव कन्जंक्टाइवा को नम एंव गीला रख उसे सूखने से बचाने का काम करते हैं।
ड्राई आई सिंड्रोम जैसी समस्या के मुख्य लक्षण, आंख की कन्जक्टाइवा का सूखना, आंखों में जलन व चुभन महसूस होना, सूखा लगना, खुजली होना, भारीपन, आंखों में लाली तथा उन्हें कुछ देर खुली रखने में दिक्कत महसूस होना इस समस्या के मुख्य लक्षणों में है।
कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम
कंप्यूटर और लैपटॉप के बढ़ते इस्तेमाल के कारण ड्राय आईस सिंड्रोम ही नहीं कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं।
इन गैजेट्स का इस्तेमाल करते हुए एक तो हमारी आंखों की दूरी इनसे कम रहती है, दूसरा इस दौरान हमारी आंखों का मूवमेंट भी कम जाता है।
कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम में आंखों और सिर में भारीपन, पानी आना, धुंधला दिखना, जलन होना, खुजली होना, आंख का सूखा रहना, पास की चीजें देखनें में दिक्कत होना, एक वस्तु का दो दिखाई देना, अत्यधिक थकान होना, गर्दन, कंधों एंव कमर में दर्द होना जैसे कुछ सामान्य लक्षण हैं।
मोतियाबिंद
हमारी आंखों में लेंस होता है, जो लाइट या इमेज को रेटिना पर फोकस करने में सहायता करता है। जब लेंस क्लाउडी हो जाता है तो लाइट लेंसों से स्पष्ट रूप से गुजर नहीं पाती जिससे जो इमेज आप देखते हैं वो धुंधली हो जाती है। आंखों में इस तरह की समस्या को मोतियाबिंद या सफेद मोतिया कहते हैं। मोतियाबिंद से पीड़ित लोगों की नजर धुंधली होने लगती है, जिसके कारण उनको को पढ़ने, नजर का काम करने, कार चलाने खासकर रात के समय में समस्या आती है। अधिकतर मोतियाबिंद धीरे-धीरे विकसित होते हैं और शुरूआत में इसमें रोशनी पर फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन कुछ समय के बाद ये देखने की क्षमता को प्रभावित करने लगता है। जिसकी वजह से लोगों को अपने रोजना करने वाले कामों में दिक्कत होने लगती है।
काला मोतिया (ग्लुकोमा)
विश्वभर में काला मोतिया, अंधेपन का दूसरा सबसे प्रमुख कारण है। अगर काला मोतिया की पहचान शुरूआती समय में ही हो जाए तो दृष्टि को कमजोर पड़ने से रोका जा सकता है। काला मोतिया, ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचने से होता है। जब आंखों से तरल पदार्थ निकलने की प्रक्रिया में रूकावट आती है तो आंखों में दबाव बढ़ने लगता है। अगर ऑप्टिक नर्व पर लगातार दबाव बढ़ता रहेगा तो वो नष्ट भी हो सकती हैं। हमारी आंखों की ऑप्टिक नर्व ही सूचनाएं और किसी चीज का चित्र मस्तिष्क तक पहुंचाती हैं। यदि ऑप्टिक नर्व और आंखों के अन्य भागों पर पड़ने वाले दबाव को कम न किया जाए तो आंखों की रोशनी पूरी तरह जा सकती है। काला मोतिया को ग्लुकोमा या काला मोतियाबिंद भी कहते हैं। यह किसी को किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन उम्रदराज लोगों में इसके मामले अधिक देखे जाते हैं।
डायबिटिक रेटिनोपैथी DR और डायबिटिक मैक्युलर इडेमा DME
हालिया समय में अधिकतर लोग मधुमेह (डायबिटीज़) नामक बिमारी से ग्रसित हैं। ऐसे में इन लोगों में डायबिटिक रेटिनोपैथी और डायबिटिक मैक्युलर इडेमा (DME) का खतरा होता है। ये विश्वभर में दृष्टि प्रभावित और दृष्टिहीनता का सबसे प्रमुख कारण है। DR और DME अपने पनपने का कोई संकेत नहीं देते हैं, जब तक कि पीड़ित की नज़र धुंधली नहीं हो जाती है। इनसे बचने के लिए बहुत जरूरी है कि मधुमेह रोगी अपनी आंखों का विशेष ध्यान रखें और नियमित अंतराल पर अपनी आंखों की जांच कराते रहें, ताकि दृष्टि संबंधी कोई समस्या होने पर उसे नियंत्रित करने के लिए जरूरी उपाय किए जा सकें।
इन लक्षणों को ना करें नज़रअंदाज़
आंखों या सिर में भारीपन और धुंधला दिखाई देना, आंखें लाल होना और उनसे पानी आना,आंखों में खुजली होना, रंगों का साफ दिखाई न देना, लगातार सिरदर्द की शिकायत रहना और आंखों में थकावट होना।
आई टेस्ट और विज़न स्क्रीनिंग है ज़रूरी
18 सल की उम्र से ही आपको अपनी आंखों की नियमित रूप से जांच कराना चाहिए, चाहे आपको आंखों से संबंधित कोई समस्या हो या न हो। विज़न स्क्रीनिंग टेस्ट में आंखों से सम्बंधित नजदीक व दूर की रोशनी जैसी समस्या का की जांच की जाती है। आई टेस्ट में आप्टिक नर्व, मोतियाबिंद, कालामोतिया आदि आंखों से संबंधित बीमारियों की जांच की जाती है। जिन्हें डायबिटीज़ हो उन्हें आंखों से संबंधित समस्याएं ज्यादा होती हैं, इसलिए ऐसे लोगों को हर छह महीने में आंखों की जांच कराना चाहिए, स्थिति अधिक गंभीर होने पर यह जांच हर तीन महीने में कराई जानी चाहिए। जो लोग चश्मे का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें भी नियमित तौर आंखों की जांच अवश्य करवाना चाहिए। इसमें आई डाईलेशन टेस्ट भी शामिल है, जो रेटिना के स्वास्थ्य को बताता है।
इस तरह से रखें अपने आंखों का ख़ास ख्याल
- आंखों को स्वस्थ रखने के लिए अपने डाइट चार्ट में हरी सब्जियों, फलों, दूध और दुग्ध उत्पादों को शामिल करें।
- छह से आठ घंटे की आरामदायक नींद लें; ये आपकी आंखों को प्राकृतिक तरीके से तरोताजा रखने में सहायता करती है।
- कंप्यूटर पर कार्य करते समय पलकों को झपकाते रहें। इससे आंख के आंसू जल्दी सूखते या उड़ते नहीं हैं तथा टीयर फिल्म कार्निया एंव कन्जंक्टाइवा के ऊपर लगातार बनी रहती है।
- कंप्यूटर पर काम करते समय हर आधा घंटे के बाद पांच से दस मिनिट के लिये नजर स्क्रीन से हटा लें एंव हर एक घंटे के बाद आंखों को पांच से दस मिनिट के लिये आराम दें।
- कम्प्यूटर की स्क्रीन को अपनी आंखों से 20-30 इंच दूर रखें, जबकि टीवी को कम से कम 3.5 मीटर दूर से देखना चाहिए।
- हर 20 मिनिट में 20 सैकंड का ब्रेक लें और 20 फीट दूर कहीं देखें। फिर दोबारा काम शुरू करें।
- कम्प्यूटर को इस प्रकार व्यवस्थित करें कि उसका टेक्स्ट लेवल आंखों के लेवल पर हो।
- पढ़ते समय या नज़र का काम करते समय पर्याप्त रोशनी रखें।
- कभी भी चलती हुई गाड़ी में न पढ़ें।
- देर रात तक कृत्रिम रोशनी में काम न करें।
- धूल-मिट्टी और सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों से बचने के लिए बाहर निकलते समय अच्छी क्वालिटी का चश्मा लगाएं।
- दिन में दो-तीन बार आंखों को साफ पानी से धोएं।
- धुम्रपान न करें, क्योंकि इससे मोतियाबिंद और AMD की आशंका बढ़ जाती है।