देश में तमाम साधु संत हुए हैं जो अपने कर्मों की वजह से आज भी जाने जाते हैं। पर आज की इस सरपट दौड़ती दुनिया में एक ऐसे सन्यासी हैं जिनको लोग डिजिटल बाबा के नाम से पहचानने लगे हैं। दुनिया में तेज़ी से इंटरनेट का प्रचलन फ़ैल रहा है, डिजिटल होना आज के दौर में बहोत ही ज़्यादा आवश्यक हो गया है। विकास की धारा अब डिजिटल नामक पुल से होकर ही गुज़रती है। इसी लिए आज की भागती-दौड़ती दुनिया में हर कोई डिजिटल हो चला है।
साधु-संत अपने प्रवचन व सदा जीवन के साथ अच्छे कर्मो से पहचाने जाते रहे हैं। लेकिन इन दिनों एक ऐसे संत नर्मदा परिक्रमा कर रहे हैं। जिन्होंने अपनी पहचान डिजिटल बाबा के रूप में बनाई है। डिजिटल बाबा अभी अपने युवाअवस्था में हैं जो नर्मदा परिक्रमा पर निकले हैं और खास बात यह है कि डिजिटल बाबा अपने साथ सेल्फी स्टिक और कॉलर माइक लेकर चल रहे है। इनके माध्यम से वे नर्मदा परिक्रमा के दौरान अलग अलग स्थानों की समस्याओं को लेकर आमजन से बातचीत करते हुए इन समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।
कैसे बने डिजिटल बाबा
डिजिटल बाबा का असली नाम स्वामी राम शंकर है. और इनका जन्म उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में हुआ। डिजिटल बाबा ने अपनी पढाई गोरखपुर विश्वविद्यालय से की है। पढाई के बाद वो अध्यात्म की दुनिया में भक्ति की ओर निकल पड़े और घर परिवार और संसार को त्याग दिया और अपना जीवन भक्ति मार्ग में समर्पित करने का निर्णय लिया है।
डिजिटल बाबा युवाओं को सनातन धर्म और अध्यात्म के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ सनातन धर्म और अध्यात्म से जुड़े विषयों पर लगातार सोशल मीडिया के जरिए संवाद करते है। अब स्वामी राम शंकर यानी डिजिटल बाबा हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले स्थित बैजनाथ धाम में एक कुटिया बनाकर रहते हैं। डिजिटल बाबा के सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स भी है। इतना ही नहीं डिजिटल बाबा लगातार देश के विभिन्न हिस्सों का भ्रमण करते हुए धार्मिक स्थलों की जानकारी भी युवाओं को प्रदान करते है।
क्यों कर रहे हैं नर्मदा की परिक्रमा
डिजिटल बाबा ने देव उठनी एकादशी पर गोमुख घाट पर विधिवत पूजा पाठ कन्या भोज के बाद ओंकारेश्वर से नर्मदा परिक्रमा शुरू की, बाबा बताते हैं कि मां नर्मदा की परिक्रमा मेरे जीवन का नितांत निजी अनुभव का विषय है। इसे सोशल मीडिया के जरिए लोगों के बीच दिखाने का उद्देश्य परिक्रमा के महत्व को समाज की युवा पीढ़ी तक पहुंचना है। ताकि प्रेरित होकर अधिक से अधिक संख्या में युवा मां नर्मदा परिक्रमा में शामिल हो।
परिक्रमा के जरिए साधक के भीतर भक्ति ईश्वर कृपा बढ़ती है। साथ ही साथ समाज की वस्तु स्थिति संस्कृतिक स्थिति जीवन दर्शन का जो अनुभव साक्षात होता है। वह किंन्ही अन्य साधन से कदापि सम्भव नहीं है। जब प्रतिकूल परिस्थिति में हम जीवन जीने का अभ्यास करते है। तब हमारे मन में पर्याप्त सामर्थ्य प्रगट होता है। जिसके फलस्वरूप मुक्ति का मार्ग हो अथवा संसार के किसी अमुक क्षेत्र में सफल होने के लिए संघर्ष हम अडिग अचल होकर लक्ष्य प्राप्ति के लिए नवरत्न साधना में लगे रहते है। ये सारी बातें परिक्रमा से सीखने को प्राप्त होती है। जो युवा वर्ग को अंतर्मुखता प्रदान करेगी। संसारिक उन्नति के साथ आत्मकल्याण के लिए युवा पीढ़ी जागरूक होगी।
लोगों व सरकार के बीच संवाद का काम कर रहे बाबा
डिजिटल बाबा बड़वानी जिले में नर्मदा किनारे के इलाकों में परिक्रमा कर रहे है। वो परिक्रमा के बीच आम लोगों से बातचीत भी करते हैं। हाल ही में डिजिटल बाबा ने ब्राह्मणगांव सुखेश्वर लोहारा सिद्धेश्वर के दर्शन किए. और साथ ही पास के गांव में एक स्कूल की साफ-सफाई की और स्कूल के अन्य समस्याओं से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर सीएम शिवराज को टैग कर अपलोड किया है।
अंजड़ पहुंचे डिजिटल बाबा ने नर्मदा किनारे संचालित होने वाले अन्नकूट अन्य क्षेत्र में शासन द्वारा कम या निर्धारित शुल्क में नर्मदा परिक्रमावासियों के लिए भोजन सामग्री का प्रबंध करने की अपील की। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी का उदाहरण देते हुए बताया कि कुंभ में यूपी के मुख्यमंत्री ने कई आयोजन किए जिसमें साधुओं को कुंभ में किसी भी प्रकार से कोई परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ा।