अपमान के बदले की भावना न जाने कबसे चली आ रही है। लोग अपमान का बदला लेने के लिए अपमानित करने वाले को नीचा दिखाने के लिए न जाने कितनी कोशिश करते हैं, और मौका मिलते ही अपना बदला ले लेते हैं। लेकिन अपमान का बदला लेने का सही तरीका अपमानित करने वाले का अपमान नहीं बल्कि अपने उस परिस्थिति को बदल कर लेना चाहिए जिसकी वजह से आपको अपमानित होना पड़ा।
अपमान का बदला अपमानित करके नहीं अपना सम्मान बढ़ा कर देना चाहिए। कुछ ऐसा ही बदला लिया है, बिहार के कमलेश कुमार ने। एक वक़्त था जब इनके पिता को पुलिस वाले ने थप्पड़ मारा था, उस थप्पड़ के प्रतिशोध ने आज कमलेश को जज बना दिया है। कमलेश ने पिता के अपमान से आहत होकर जज बनने का रास्ता चुना जिससे पुलिस भी डरती है। अपने सालों के अथक प्रयाश व मेहनत से कमलेश ने 2022 के बिहार जुडिशियरी एग्जाम Bihar Judiciary Exam में 64वीं रैंक हासिल किया है और जज बन गए हैं।
पुलिस वाले ने पिता को मारा थप्पड़
बिहार के साधारण परिवार से आने वाले कमलेश की ज़िंदगी उस दिन बदल गई जब उनके पिता को एक पुलिसवाले ने थप्पड़ मारा। मीडिया से कमलेश कुमार ने बताया कि एक बेहद गरीब परिवार में जन्मे उनके पिता के दस भाई-बहन हैं. इतने बड़े परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए वह दिल्ली आए और यहां एक झुग्गी-झोपड़ी में रहे। फिर एक दिन सरकार का लाल किले के पीछे वाली झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने का आदेश आया और सभी अवैध अस्थाई घर गिरा दिए गए।
सिर से छत छिन जाने के बाद वो यमुना पार किराये के घर में रहने लगे और कमलेश के पिता चांदनी चौक पर ठेला लगाने लगे. तब कमलेश दसवीं पास कर चुके थे. और पिता का हाथ बटाने उनके ठेले पर जाया करते थे. एक दिन वह अपने पिता के साथ थे और उनके सामने ही एक पुलिसवाले ने उनके पिता को एक जोरदार थप्पड़ मार कर जबरदस्ती उनका ठेला बंद करवा दिया।
बदले की भावना लिए जज बनने की ठानी
उस वक़्त बेबस कमलेश और उनके पिता पुलिस की इस ज्यादती को बेइज्जती का कड़वा घूंट समझ कर पी गए. लेकिन कमलेश इस घटना को भुला नहीं पा रहे थे. इस घटना ने कमलेश के दिल में बदले की भावना को जन्म दे दिया था. कमलेश के पिता ने बताया की ये पुलिसवाले जज से बहुत डरते हैं। पिता की कही इस बात ने कमलेश के दिल में घर बना ली और फिर उसने अपने गुस्से को सकारात्मक सोच में बदला और ये ठान लिया कि वह जज बनेंगे ताकि फिर कोई पुलिस वाला पिता का अपमान न करने पाए।
सफलता में लगे कई साल
दिल्ली यूनिवर्सिटी में लॉ के स्टूडेंट रहे कमलेश को पिता के साथ हुआ वो हादसा हमेशा से याद रहा और वो ठान चुके थे कि वह वकील से आगे जज बनेंगे। एक औसत विद्यार्थी होने के बावजूद कमलेश ने इसके लिए जमकर तैयारी करना शुरू किया। कमलेश 2017 में UP Judiciary का एग्जाम दिया पर सफलता हाथ नहीं लगी।
इसके बाद उन्होंने Bihar Judiciary की तैयारी शुरू की लेकिन पहले प्रयास में यहां भी सफलता उनके हाथ न लगी। इसके बाद कोविड के कारण करीब 3 साल बर्बाद हो गए. इतना सब होने के बावजूद कमलेश ने न तो उस हादसे को भुलाया और न हार मानी और तैयारी करते रहे। कमलेश की इसी लगन और मेहनत का ये परिणाम रहा कि आखिरकार 2022 में बिहार जुडिशियरी एग्जाम Bihar Judiciary Examination में 64वीं रैंक प्राप्त किया और जज बन गए।
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आखिरकार मिल ही गई सफलता
कमलेश ने अपनी इस सफलता के संबंध में बताया कि जिस दिन रिजल्ट आया उस दिन वह बहुत निराश हो गए थे क्योंकि उन्हें रिजल्ट लिस्ट में कहीं भी अपना नाम नहीं दिखा. उन्हें लगा कि उनकी इस साल की मेहनत भी बेकार हो गई लेकिन तभी उनकी एक दोस्त ने उन्हें फोन कर बताया कि वह सलेक्ट हो गए हैं. इतना सुनते ही कमलेश रोने लगे।
जिस समय कमलेश को अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी सफलता की खबर मिली उस समय उनके पिता चांदनी चौक पर छोले-भटूरे बेच रहे थे। रिजल्ट की ख़बर को सुनने के बाद पूरे परिवार की आंखों में खु़शी के आंसू थे। कमलेश ने अपने गुस्से और उसकी ऊर्जा को सही दिशा दिया और आखिरकार जज बन गए।