हम सब की दिनचर्या सुबह उठाने के बाद मुंह की सफाई यानि दांतों को ब्रश करने से शुरू होती है। बचपन से ही सुबह उठकर दांतों की सफाई करने की सिख दी जाती है, क्यूंकि दांत साफ़ न करने से कई तरह की बिमारियों का सामना करना पड़ सकता है। पर क्या आप रोज़ाना इस्तेमाल करने वाले अपने टूथपेस्ट के बारे में जानते हैं, की इसको बनाने में किन चीज़ों का इस्तेमाल किया जाता है।
ये जानकारी आपके टूथपेस्ट के ट्यूब पर दी गई होती है। और इन ट्यूब पर अलग-अलग रंगों के निशान भी होते हैं जिनको बनाने का ख़ास मकसद होता है। कई लोग तो इन निशानों को दरकिनार कर देते हैं पर बहुतों का मानना है कि इन लाल, नीले, काले और हरे निशान टूथपेस्ट की गुणवत्ता व इनमे इस्तेमाल होने वाले चीजों को बताते हैं। आज जानते हैं, आखिर क्या है इन रंगों कि सच्चाई।
कैसे बनता है टूथपेस्ट
बाजार में कई प्रकार के टूथपेस्ट उपलब्ध हैं, ठीक वैसे ही जैसे हर व्यक्ति के मुंह के अंदर की चीज़ें। हर टूथपेस्ट कि गुणवत्ता भी अलग होती है लोग गुणवत्ता के हिसाब से अपने टूथपेस्ट का चयन भी करते हैं। पर वहीं बहोत से ऐसे लोग भी हैं जो बाजार से ऐसे ही कोई भी टूथपेस्ट ले आते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि टूथपेस्ट बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के कैमिकल का इस्तेमाल किया जाता है।
इन पेस्टों को बनाने के लिए पौटेशियम नाइट्रेट, सोर्बिटोल, फ्लोराइड, ट्राईक्लोसन, अब्रेसिव्स, कैल्शियम, डाई कैल्शियम फॉस्फेट और बेकिंग सोडा जैसे कैमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। लोगों के दांत में अलग-अलग प्रकार की कमियां होती हैं। ऐसे में टूथपेस्ट कंपनियों ने अपनी मार्केटिंग बढ़ने के लिए अलग-अलग प्रकार के टूथपेस्ट प्रोडक्ट बनती हैं। कई टूथपेस्ट में डाई कैल्शियम फॉस्फेट होता है। और इसके साथ ही फ्लोराइड का भी इस्तेमाल किया जाता है। जिस भी टूथपेस्ट में डाई कैल्शियम की मात्रा 1000 pm से अधिक होगी वह हानिकारक होता है।
इसके साथ ही टूथपेस्ट में झाग बनाने के लिए सोडियम लॉरियल सल्फेट का इस्तेमाल किया जाता है। टूथपेस्ट को मीठा बनाने के लिए सोर्बिटोल का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में हमें अपने दांतों व मसूड़ों के हिसाब से सही टूथपेस्ट का चुनाव करना चाहिए, नहीं तो इन केमिकल्स की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
ट्यूब पर बने रंगों वाले चिन्हों का मतलब
हर टूथपेस्ट ट्यूब पर एक हरे रंग का गोला बना होता है, जो ये बताता है कि पेस्ट पूरी तरह से शाकाहारी और चीनी से मुक्त है। पर पेस्ट ट्यूब के पीछे भी कई अलग रंगों के चिन्ह बने होते हैं, जिनके बारे में इंटरनेट पर कई रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया है कि इन चिन्हों का मतलब पेस्ट की गुणवत्ता और उसमे इस्तेमाल होने वाले चीजों से है।
क्या है इसकी अफवाह
अमूमन हर टूथपेस्ट के पीछे नीचे की ओर लाल, नीला, हरा व काले रंग का चिन्ह बना होता है, जिसके बारे में ये भ्रामकता फैलाई जा रही है कि इन रंगों का कनेक्शन पेस्ट में इस्तेमाल किये जा रहे मटेरियल से है। उन रिपोर्ट्स की मने तो काले रंग, का मतलब है कि पेस्ट पूरी तरह से कैमिकल से बना है। और नील रंग का मतलब प्राकृतिक और मेडिसिन के मिश्रण से बना है। इसके साथ ही लाल रंग का मतलब प्राकृतिक और कैमिकल मिश्रण है, तो वहीं हरे का मतलब है पूर्णतह प्राकृतिक है।
क्या है इन रंगों कि सच्चाई
टूथपेस्ट बनाने वाली कंपनी कोलगेट के मुताबिक, ये सभी बातें पूरी तरह से गलत हैं, इन अलग-अलग रंगों वाले चिन्हों का मतलब पेस्ट की गुणवत्ता से बिलकुल भी नहीं होता है। इन रंगों का इस्तेमाल पेस्ट ट्यूब तैयार करने के लिए किया जाता है, इन अलग-अलग रंगों का इस्तेमाल ट्यूब बनाने वाली मशीन को संकेत देने के लिए किया जाता है। ये अलग रंग ही मशीन को संकेत देते हैं की उन ट्यूब का साइज क्या होगा और कहां सील लगानी है। अंदर के प्रोडक्ट से इनका कोई मतलब नहीं होता है।