आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसी बच्ची से जो छोटी सी उम्र में ही एक अनुवांशिक बीमारी से ग्रसित हैं, और उनके इलाज में 10 करोड़ रुपये का खर्च आएगा जिसके लिए क्राउड फंडिंग शुरू की गई है। बच्ची के सहयोग के लिए उठा आपका एक कदम बच्ची के लिए जीवनदान होगा अधिक से अधिक संख्या में दान करें व शेयर करें और बच्ची को जीवनदान दें।
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उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले की सारा फातिमा लारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी Spinal Muscular Atrophy Type 2 से ग्रसित हैं। इस बीमारी में लगने वाला इंज़ेक्शन (सूई) अमेरिका से इम्पोर्ट कर मंगाई जाएगी, जिसमे 10 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। सारा के पिता अबुज़र लारी एक व्यवसाई हैं व माता सोफिया लारी एक गृहणी हैं। पिता की शहर में जुते-चप्पलों की दुकान है, व्यवसाय ही उनके जीवपयापन का श्रोत है।
कैसे होगा इलाज़ इतना महंगा
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी जैसी घातक बीमारी का इलाज़ बहोत कम ही जगह पर मुमकिन है, इसमें इस्तेमाल होने वाली इंजेक्शन स्पीनरेज़ा अमेरिका से मंगवानी पड़ती है। बंगलुरु के बेपेस्ट हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ एन अग्नेस मैथू (Ann Agnes Mathew) ने एक सर्टिफिकेट में बताया है की सारा फातिमा लारी एसएमए टाइप- 2 से ग्रसित हैं जो की एक घातक जानलेवा बीमारी है। इसके इलाज़ में स्पीनरेज़ा (NUSINERSEN) नामक इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जायेगा जिसके एक डोज़ की कीमत 78 लाख रुपये है, इलाज के पहले साल में कुल 4.7 करोड़ रुपये लगेंगे। इसके बाद के सालों में प्रत्येक वर्ष 2.34 करोड़ रुपये सालाना खर्च होगा।
सारा को स्पेशलिस्ट के साथ-साथ स्पेशल यंत्रों की भी ज़रूरत है जैसे की बीपैप मशीन जिससे उसे सांस लेने में दिक्कत न हो और इस मशीन की कीमत 50 हज़ार रुपये है। इस दवाओं के इस्तेमाल के बाद रेसडिप्लाम Risdiplam नामक दूसरी दवा का इस्तेमाल भी किया जायेगा जो भारत में भी मिलती है, जिसके 1 बोतल का दाम 6 लाख रुपये है। ये दवा मरीज़ के वजन के हिसाब से दी जाती है, जिसका इस्तेमाल उम्र भर करना होगा। ये दवा मरीज़ के वजन के हिसाब से लगभग 5 बोतल हर 60 वें दिन देना होगा उस दिन के वजन के हिसाब से, जिसमे लगभग 73 लाख रुपये का खर्च सालाना आएगा। इन सब के बाद सारा की एक स्क्रोलिओसिस Scroliosis सर्जरी से गुज़ारना होगा जिसमे 5-6 लाख का खर्च आएगा इस तरह पुरे इलाज के लिए 10 करोड़ रुपये की ज़रूरत है। इस परिवार व इस बच्ची के लिए आप सब आगे आएं और इसकी इलाज में योगदान दें।
क्या है स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी एक अनुवांशिक बीमारी है, जिसमे दिमाग की तंत्रिकाएं रीढ़ की हड्डी के मसल्स पर अपना नियंत्रण खो देती हैं। ये बिमारी ज़्यादातर बच्चों में पाई जाती है जिससे उनकी मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और उनको हिलने-डुलने व सांस लेने में समस्या पैदा होती है। इस बीमारी को एसएमए नाम से भी जाना जाता है, इस बीमारी से ग्रसित बच्चे अपनी माशपेशियों का इस्तेमाल नहीं कर पते हैं क्यूंकि उनकी दिमाग की तंत्रिकाओं का नियंत्रण उनके रीढ़ की हड्डी के मसल्स से टूट जाता है जिससे दिमाग कोशिकाओं को मेसेज देना बंद कर देता है और मसल्स ख़राब होने लगते हैं। इस बीमारी से ग्रसित बच्चे ज़्यादा दिन तक जीवित नहीं रह पाते हैं।
पिता की जनता से अपील
मीडिया लैंड नेटवर्क से बात करते हुए सारा के पिता ने बताया की पैदा होने के 8 महीने बाद बच्ची के बीमारी का पता चला था और अब बच्ची 13 साल की हो चुकी है। इस इलाज़ का हम सालों से इंतज़ार कर रहे थे, कुछ साल पहले जब इस बीमारी का इंजेक्शन आया तब सिर्फ 2 साल तक के बच्चों को ही लगाया जा सकता था और हमारी बेटी लगभग 10 साल की हो चुकी थी, पर अब हमको उम्मीद की किरण दिखने लगी थी और 2 से 3 साल में बड़े बच्चों के लिए भी इंजेक्शन आ गया। इलाज़ आने से हम खुश तो हैं पर ये इतना महंगा है की अब हमारी मुश्किलें और बढ़ गई हैं, इतनी बड़ी रकम का इंतेज़ाम करना हमारे लिए बहोत मुश्किल है। जहाँ हम इस बीमारी के इलाज न होने से परेशान थे पर अब हम इलाज न करा पाने की वजह से परेशां हैं। भाउक होते हुए बच्ची के पिता ने कहा की अब तो इलाज आ गया है पर शायद अब हम ही इतना महंगा इलाज़ न करा पाएं, अब इलाज की धनराशि इकठ्ठा करने के लिए मात्र क्राउड फंडिंग का ही सहारा है। अबतक क्राउड फंडिंग से 2 लाख रूपये ही इकठ्ठा हो पाए हैं, आप सब से विनती है की मेरी बच्ची के इलाज में ज्यादा से ज्यादा योगदान देकर सहायता करें हमें आपके सहायता की बहोत ज़रुरत है।
पीड़ित बच्ची सारा की आप सब से अपील
पीड़ित बच्ची सारा से जब हमने बात की तो पता चला की बच्ची पढने में बहोत तेज़ व होनहार है। बच्ची को कंप्यूटर का बहोत शौख है और वो कंप्यूटर प्रोगरामिंग और पाइथन की अच्छी जानकारी रखती हैं। सारा को टेक्नोलॉजी से बहोत लगाव है और वो बड़ी होकर जापान की टेक्नोलॉजी को इंडिया में बना चाहती हैं। आगे हमसे बात-चीत में बच्ची ने बताया की वो स्टीफेन हॉकिंग को फॉलो करती हैं, और कहती हैं की वो तो अपनी गर्दन तक को हिला नहीं सकते थे फिर भी इतने बड़े बड़े काम किये हैं, मै भी बड़ी होकर उनकी ही तरह बड़ा काम करुँगी और अपने भारत देश का नाम आसमान की बुलंदियों तक ले जाउंगी। आगे उन्होंने बताया की वो बिना माँ बाबा के मदद के बाथ भी नहीं सकती हैं, ऐसे में अगर उनका इलाज हो जाये तो खुद से अपने काम कर सकती हैं। बड़े ही विनम्रता से बच्ची ने अपने इलाज के क्राउड फंडिंग में ज्यादा से ज्यादा योगदान के लिए आप सब से अपील की है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिला परिवार
पीड़ित बच्ची सारा की माँ सोफिया लारी बताती हैं की, बीते 23 सितम्बर को उनकी मुलाक़ात प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हुई है। उन्होंने बताया की जब हॉस्पिटल का इलाज इस्टीमेट मिला तो वो उसे लेकर मुख्यमंत्री के जनता दरबार गईं और उनसे मुलाक़ात कर मदद की गुहार लगाई, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने बच्ची से बात करते हुए चॉकलेट दिया व परिवार से बच्ची के इलाज के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से भी मदद दिलाने का आश्वासन दिया व दवाइयों के टेक्स माफ़ करने की बात कही। सोफिया लारी कहती हैं की मुख्यमंत्री से मिलने व उनके आश्वाशन के बाद हमलोगों को एक उम्मीद मिली है और क्राउड फंडिंग भी शुरू कर दी गई है आप सब लोगों से एक माँ का निवेदन है की योगदान देकर मेरी बच्ची को बचा लीजिए और भावुक होते हुए कहती हैं की ईश्वर ऐसी स्थिति किसी को न दिखाए।
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ये थी पीड़ित परिवार से मीडिया लैंड नेटवर्क की ख़ास बात-चीत जिसमे बताया गया की कैसे इस बच्ची का इलाज होगा इस खबर में फण्डरेज़ के लिए लिंक भी प्रोवाइड की जा रही है, आप सब से अनुरोध है की इस बच्ची के लिए आगे आएं और जिसके जीवन में अपना योगदान दें। हॉस्पिटल ने इलाज में खर्च होने वाली बड़ी रकम का इस्टीमेट एक सर्टिफिकेट में जारी किया है जिसमे इलाज से सम्बंधित पूरी जानकारी दी गई है, जिसमे कुल 10 करोड़ रुपये का फण्ड चाहिए। 130 करोड़ की जनसँख्या वाले अपने देश से एक लाचार पिता की यही अपील है की लोग अपना योगदान इस बच्ची के इलाज में दें ताकि उनकी बच्ची जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाये।