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February 27, 2023 5:43 pm

शहरों और सड़कों का नाम नहीं बदले जाएं सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार

By Mohd Badruzzama Siddiqui
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सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर शख्त कदम उठाते हुए शहरों और कस्बों के नाम बदलने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, यहां सभी को आज़ादी है। देश अतीत का कैदी बना नहीं रह सकता है, हमें देश को आगे बढ़ाने वाली बातों के बारे में सोचना चाहिए। बीते कुछ सालों में शहरों, कस्बों, स्टेशनो समेत कई पुरानी जगहों के नाम बदलने का प्रचलन तेज़ी से बढ़ा है। मौजूदा सरकार ने कई जगहों के नाम बदले हैं, जिसमे राष्ट्रपति भवन का मुग़ल गार्डन भी शामिल है।

क्या थी भाजपा नेता की दायर याचिका

आपको बता दें, पेशे से वकील और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने जगहों के नाम बदलने को लेकर देश की सर्वोच्चय न्यायालय में याचिका दाखिल किया था, और नामों को बदलने की गुहार लगाई थी। दाखिल याचिका में उन्होने कहा था कि क्रूर विदेशी आक्रांताओं ने कई जगहों के नाम बदल उन्हें अपना नाम दे दिया था। आज़ादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी सरकार उन जगहों के प्राचीन नाम को दुबारा रखने को लेकर गंभीर नहीं है।

इसके साथ ही उपाध्याय ने यह भी कहा था कि धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व की हज़ारों जगहों के नाम मिटा दिए गए। उन्होने उदहारण के तौर पर कुछ मामले भी बताए जिसमे, शक्ति पीठ के लिए प्रसिद्ध किरिटेश्वरी का नाम बदल कर मुर्शिदाबाद रखने, प्राचीन कर्णावती का नाम अहमदाबाद करने, हरिपुर को हाजीपुर, रामगढ़ को अलीगढ़ किए जाने का जिक्र किया था।

इसके साथ-साथ याचिकाकर्ता उपाध्याय ने कस्बों के नामों को भी बदने के कई उदाहरण दिए थे। उन्होंने इन सभी जगहों के प्राचीन नाम की बहाली को हिंदुओं के धार्मिक, सांस्कृतिक अधिकारों के साथ-साथ उनके सम्मान से जीने के मौलिक अधिकार के लिए ज़रूरी बताया था। इस दाखिल याचिका में अकबर रोड समेत लोदी रोड, हुमायूं रोड, चेम्सफोर्ड रोड, हेली रोड जैसे कई नामों को बदलना जरूरी बताया गया था।

सुनवाई के दौरान क्या हुई बहस

शहरों और कस्बों के प्राचीन नामों की पहचान के लिए ‘रिनेमिंग कमीशन’ बनाए जाने की मांग वाली याचिका की सुनवाई जस्टिस K. M. जोसेफ और B. V. नागरत्ना की बेंच कर रही थी। उन्होने दायर याचिका में लिखी गई बातों को बहोत ध्यान से पढ़ा। जिसके बाद जस्टिस जोसेफ ने कहा, “आप सड़कों का नाम बदलने को अपना मौलिक अधिकार बता रहे हैं? आप चाहते हैं कि हम गृह मंत्रालय को निर्देश दें कि वह इस विषय के लिए आयोग का गठन करे?”

अपने दायर याचिका की पैरवी खुद ही करते हुए उपाध्याय ने कहा, “सिर्फ सड़कों का नाम बदलने की बात नहीं है, इससे ज़्यादा ज़रूरी है इस बात पर ध्यान देना कि हज़ारों जगहों की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को मिटाने का काम विदेशी हमलावरों ने किया। प्राचीन ग्रन्थों में लिखे उनके नाम छीन लिए अब वही नाम दोबारा बहाल होने चाहिए।”

जस्टिस जोसेफ ने कहा, “आपने अकबर रोड का नाम बदलने की भी मांग की है। इतिहास कहता है कि अकबर ने सबको साथ लाने की कोशिश की, इसके लिए दीन ए इलाही जैसा अलग धर्म लाया।”

उपाध्याय ने जवाब दिया कि इसे किसी सड़क के नाम तक सीमित न किया जाए, जिन लोगों ने हमारे पूर्वजों को अकल्पनीय तकलीफें दीं. जिनके चलते हमारी माताओं को जौहर (जीते जी आग में कूद कर जान देना) जैसे कदम उठाने पड़े. उन क्रूर यादों को खत्म करने की ज़रूरत है।

जस्टिस नागरत्ना : आप समय को पीछे ले जाना चाहते हैं

वहीं बेंच की सदस्य जस्टिस नागरत्ना ने कहा, “हम पर हमले हुए, यह सच है। क्या आप समय को पीछे ले जाना चाहते हैं? इससे आप क्या हासिल करना चाहते हैं? क्या देश में समस्याओं की कमी है? उन्हें छोड़ कर गृह मंत्रालय अब नाम ढूंढना शुरू करे?” जस्टिस नागरत्ना ने आगे कहा, “हिंदुत्व एक धर्म नहीं, जीवन शैली है. इसमें कट्टरता की जगह नहीं है. हिंदुत्व ने मेहमानों और हमलावरों सब को स्वीकार कर लिया. वह इस देश का हिस्सा बनते चले गए. बांटो और राज करो की नीति अंग्रेजों की थी। अब समाज को बांटने की कोशिश नहीं होनी चाहिए।”

जस्टिस जोसेफ की अहम टिप्पणी

मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने बेंच की शख्त रवैइये को देखते हुए याचिका के खारिज न होने का प्रयास करते दिखे। उन्होने पूरा प्रयास किया की याचिका कोर्ट से वापस लेकर सरकार को विचार के लिए दे दिया जाए लेकिन बेंच ने इससे भी मना कर दिया।

याचिका को खारिज करते हुए बेंच के जस्टिस जोसेफ ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा, “आप सिर्फ मुद्दा गर्म रखना चाहते हैं. धर्मनिरपेक्ष संस्थाओं से ऐसा कुछ करवाना चाहते हैं जो धर्मनिरपेक्ष नहीं है। हमारा स्पष्ट मानना है कि हम अतीत के कैदी बन कर नहीं रह सकते. इस बात की अनुमति नहीं दी जा सकती कि दुखद अतीत आज के भाईचारे को खत्म करे।”

This post was published on February 27, 2023 5:43 pm

Mohd Badruzzama Siddiqui